ENG | HINDI

कारगिल युद्ध भारत की पीठ में छुरा था, आखिर क्यों पाकिस्तान के बड़े नेता ने कहा ऐसा?

Kargil Was A Mistake

पाकिस्तान ने आज तक कभी इतना नर्म रुख अपनाते हुए यह नहीं कहा है कि फला युद्ध पाकिस्तान की गलती थी.

लेकिन बीते दिनों अचानक से  वजीरे आजम नवाज शरीफ ने एक जनसभा में कारगिलयुद्ध को भारत के पीठ पर छुरा घोंपने जैसा बताया.

इस मुद्दे पर आगे बात करने से पहले आइये पढ़ते हैं कि नवाज शरीफ ने क्या-क्या बोला है-

“कारगिल पर कब्जा करने की कोशिश तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पीठ में छुरा घोंपने जैसी हरकत थी. अटल बिहारी वाजपेयी ने उनसे कहा था कि उनकी पीठ में छुरा घोंपा गया है. शरीफ ने उनसे कहा कि अगर मैं आपकी जगह होता, तो मैं भी यही सोचता. वाजपेयी तो एक लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री थे, इसलिए वह इसे झेल गए, लेकिन इसका खामियाजा नवाज शरीफ ने भुगता. कारगिल दुस्साहस के नाकाम होने के बाद मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्ता पलटा और खुद राष्ट्रपति बन गए. इससे यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जब तक पाकिस्तान में मजबूत लोकतंत्र नहीं है, शांति की उम्मीद बहुत कम है. किसी भी शांति प्रयास के बाद कभी कारगिल, कभी पठानकोट, इसी की पुष्टि करते हैं. इसी यथार्थ को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों में शांति कायम करने के प्रयास होने चाहिए.”

इस सच को स्वीकार करने की वजह क्या हो सकती हैं?

इस सच को पहली बार अगर कोई पाकिस्तान का मुख्य नेता स्वीकार कर रहा है तो उसकी कुछ वजह तो साफ़ हैं. ज्ञात हो कि जैसे कुछ ही दिनों पहले अमेरिका से पाकिस्तान फाइटर प्लेन खरीदने की किसी डील पर बात कर रहा था. भारत की ओर से अचानक से ही दबाव बढ़ने लगा था. अब इस समय अमेरिका भी नहीं चाहता है कि वह भारतीय नेताओं  से अपने रिश्ते खराब करे. तो हो सकता है कि यह नरमी दिखाकर नवाज शरीफ हमदर्दी की आड़ में यह व्यापार करने की सोच रहे हों.

दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि नवाज शरीफ भी इस समय भारत के साथ रिश्ते खराब नहीं करना चाह रहे हैं. भारत अभी विश्व में सबसे तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था वाला देश है. तो यहाँ से कुछ ना कुछ लाभ वह भी लेना चाहते हैं.

भारत का रुख:-

इस ब्यान को सुनकर केंद्र सरकार का दिल बिलकुल नहीं पसीजना चाहिए. प्रधानमंत्री को नहीं भूलना चाहिए कि दुश्मन अभी हमारा ध्यान भटकाने की मात्र कोशिश कर रहा है.

नवाज शरीफ के इस ब्यान को हमें हलके में ही लेने की जरूरत है. अगर असल में पाकिस्तान को गलती का एहसास है तो उसे आतंकवाद पर कार्यवाही करनी चाहिए और आतंकवादियों को सामने लाकर कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए.