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माता का ऐसा शक्तिपीठ जहां प्रसाद में मिलता है गीला कपड़ा

कामाख्या शक्तिपीठ

कामाख्या शक्तिपीठ – नवरात्रि के दौरान घर पर माता रानी की पूजा अर्चना करने के साथ ही कुछ लोग इस दौरान माता के शक्तिपीठों दर्शन करने भी जाते हैं.

हमारे देश में देवी मां 51 शक्तिपीठ बताए जाते हैं, इन्हीं शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ बहुत खास माना जाता है और इसकी एक खासियत यह है कि यहां प्रसाद में कोई खाने की चीज़ नहीं, बल्कि गीला कपड़ा दिया जाता है, आखिर ऐसा क्यों?

ये माता का शक्तिपीठ कामाख्या शक्तिपीठ है. यह ऐसा इकलौता शक्तिपीठ है जहां पर 10 महाविद्याएं काली, तारा, मातंगी, कमला, सरस्वती, धूमावती, भुवनेश्वरी, बगला, छिन्नमस्तिका और भैरवी एक ही स्थान पर विराजामान हैं. इस कामाख्या शक्तिपीठ में देवी मां की मूर्ति की बजाय उनकी योनि की पूजा होती है.

कामाख्या देवी असम के नीलांचल पर्वत पर समुद्र तल से करीब 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं, यहीं देवी का मशहूर कामख्या मंदिर है.

देवी के 51 शक्तिपीठों में से यह भी एक है. माना जाता है कि भगवान विष्णु ने जब देवी सती के शव को चक्र से काटा तब इस स्थान पर उनकी योनी कट कर गिर गयी. इसी मान्यता के कारण इस स्थान पर देवी की योनि की पूजा होती है. हर साल तीन दिनों के लिए यह मंदिर पूरी तरह से बंद रहता है. माना जाता है कि माँ कामाख्या इस बीच रजस्वला होती हैं और उनके शरीर से रक्त निकलता है.

इस दौरान कामाख्या शक्तिपीठ की अध्यात्मिक शक्ति बढ़ जाती है. इसलिए देश के विभिन्न भागों से यहां तंत्रिक और साधक जुटते हैं और आस-पास की गुफाओं में रहकर वह साधना करते हैं.

तीन दिन बंद रहने के बाद जब चौथे दिन माता के मंदिर का दरवाजा खुलता है तो माता के भक्त दिव्य प्रसाद पाने के लिए बेचैन हो जाते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह दिव्य प्रसाद होता है लाल रंग का कपड़ा जिसे माता राजस्वला होने के दौरान धारण करती हैं.

इसे अम्बुवाची वस्त्र कहते हैं. माना जाता है कि इस कपड़े का टुकड़ा जिसे मिल जाता है उसके सारे कष्ट और ज़िंदगी में आने वाली समस्याएं दूर हो जाती हैं.

कामाख्या शक्तिपीठ – कामाख्या देवी का मंदिर बहुत मशहूर है, कभी मौका मिले तो आप भी इस शक्तिशाली शक्तिपीठ के दर्शन ज़रूर कर लें।