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इस मंदिर में विराजमान देवी को लगती है गर्मी ! इंसानों की तरह आता है पसीना !

काली माई का मंदिर

गर्मी और पसीने से बचने के लिए लोग अपने घरों और दफ्तरों में AC लगाते है ताकि उन्हें इससे राहत मिल सके.

क्या आप एक ऐसे मंदिर के बारे में जानते हैं जहां विराजमान माता की मूर्ति को इंसानों की तरह गर्मी लगती है और पसीना भी आता है!

इतना ही नहीं माता की मूर्ति को गर्मी का अहसास न हो इसके लिए पूरे मंदिर में AC भी लगाया गया है.

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काली माई का मंदिर

जबलपुर के सदर इलाके में स्थित काली माई का मंदिर जहाँ  मां काली की करीब 550 साल पुरानी प्रतिमा विराजमान है. मान्यता है कि स्वयंसिद्ध माता काली की भव्य प्रतिमा गोंडवाना साम्राज्य के दौरान स्थापित की गई थी.

बताया जाता है कि माता काली की इस प्रतिमा से गर्मी बर्दाश्त नहीं होती है और उन्हें पसीना आने लगता है. माता को पसीना न आए इसके लिए भक्तों ने इस मंदिर में बकायदा एसी भी लगवाया है.

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काली माई का मंदिर – विज्ञान ने भी इसे माना चमत्कार

काली माई का मंदिर जहाँ जब भी AC बंद होता है, उनकी प्रतिमा से पसीना निकलने लगता है, जिसे साफ तौर से देखा जा सकता है.

हालांकि माता की प्रतिमा से निकलने वाले पसीने के रहस्य को जानने के लिए कई बार खोज भी की गई लेकिन यह आज भी रहस्य बना हुआ है. तभी तो विज्ञान भी इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मानता है.

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ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार

मंदिर ट्रस्ट के पंडितों की मानें तो रानी दुर्गावती के शासनकाल में मदनमहल पहाड़ी में निर्मित मंदिर में काली माई की प्रतिमा को स्थापित किया जाना था. इसके लिए शारदा देवी की प्रतिमा के साथ काली माई की प्रतिमा को लेकर एक काफिला मंडला से जबलपुर के लिए निकला.

जैसे ही वो काफिला जबलपुर के सदर इलाके में पहुंचा तो मां काली की प्रतिमा को लेकर चलने वाली बैलगाड़ी वहीं रुक गई और उसी रात काफिले में शामिल एक बच्ची के सपने में काली माई ने दर्शन देते हुए कहा कि उन्हें यहीं स्थापित किया जाए.

माता की इस प्रतिमा को तालाब के बीचोबीच एक छोटी सी जगह पर स्थापित किया गया जहां बाद में काली माई का मंदिर बनाया गया.

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काली माई का मंदिर जहाँ माता की मौजूदगी का होता है अहसास

कहा जाता है इस मंदिर में हर वक्त काली माई की मौजूदगी का अहसास होता है. यही वजह है कि रात के वक्त मंदिर में किसी को भी रुकने या सोने की इज़ाजत नहीं दी जाती है.

काली माई का मंदिर जिसके आसपास मौजूद प्रसाद और पूजा के सामान बेचनेवाली सभी दुकाने करीब दो सौ साल पुरानी बताई जाती है.

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मौसम चाहे कोई भी हो, एसी बंद होते ही काली माई की प्रतिमा से निकलनेवाला पसीना वाकई किसी चमत्कार से कम नहीं है.

तभी तो काली माई के दरबार में होनेवाले इस चमत्कार को नमस्कार करने के लिए हर मौसम में भक्तों का तांता लगा रहता है.