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पीड़ित हैं रेप का शिकार, महफूज़ हैं गुनहगार, कहाँ का इन्साफ ?

rape-victim

दो लड़कियां दिल्ली से गोवा घुमने आती हैं.

घूम रही होती हैं, एन्जॉय भी कर रही होती हैं, कि तभी कही से एंटी नारकोटिक्स अफसर आ जाते हैं.

ये तथाकथित अधिकारी लड़कियों के बैग की तलाशी लेते हैं और उन्हें ऊपर आगे की जांच के लिए चलने को कहते है. यहाँ लड़कियों के साथ बलात्कार करते हैं और उन्हें मारते पीटते भी हैं. इसके बाद छू मंतर हो जाते हैं. ये कोई कहानी नहीं है. ये ही सच्चाई है. और ऐसे कई घटनाएं हमारे आस-पास होती ही रहती हैं.

ये ऐसी कोई पहली खबर नहीं, पर खबरों की दुनिया में जुड़ी एक नयी वारदात जरूर है.

गोवा में दिल्ली की दो लड़कियों के साथ गैंगरेप किया गया. क्या हुआ ?

गुस्सा आया?

खून खौला?

पर क्या इसपर रोक लगाया जा पायेगा?

या एक बार फिर सिर्फ मोमबत्तियाँ ही जलाई जाएँगी, और आरोपी या तो खुला घूमेगा या तो थोड़े ही सालों में जेल से छुट कर बाहर आ जायेगा.

क्या ऐसे अपराधों की सजा फांसी नहीं होनी चाहिए?

ताकि आगे कोई ऐसे अपराध करने से पहले सौ बार सोचे.

भारत में महिलाओं के खिलाफ किये जाने वाले गुनाहों में बलात्कार चौथी सबसे आम घटना है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2013 के रिपोर्ट के अनुसार 24,923 बलात्कार की घटना रिपोर्ट की गयी. गौरतलब है की ये वो घटना है जिसकी रिपोर्ट की गयी पर देश में ऐसे घटनाओं की संख्या भी काफी तेज है जिसकी रिपोर्ट कई सामाजिक कारणों से नहीं की जाती.

अगर हम पिछले सालों में नज़र डाले तो बलात्कार की घटना बढ़ी ही है. दिल्ली गैंगरेप के बाद, लोगो का गुस्सा उभर कर सामने आया. आन्दोलन करते हुए लोग राष्ट्रपति भवन तक जा पहुंचे. लोगों ने गुनहगारों के लिए फांसी की सजा मांगी. गुनाह को देखते हुए दिल्ली की फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने जुवेनाइल को छोड़कर बाकि सबको फांसी की सजा सुनाई. पुलिस की माने तो इस बलात्कार काण्ड में जिसने सबसे ज्यादा क्रूरता बरती वो जुवेनाइल ही था.

इसके बाद ही संसद में इस तरह के गुनाह में जुवेनाइल की उम्र को कम करने पर चर्चा शुरू हुई. और इसमें बदलाव भी किये गए. अब जघन्य अपराध में लिप्त 16-18 साल के व्यक्ति को व्यस्क की तरह ही ट्रीट किया जाएगा.

हम कई केसेस में देखते हैं की गुनहगार ने ये पहली बार गुनाह नहीं किया.

शक्ति मिल रेप केस इसका एक उदहारण है, जब जांच के बाद पता चला की ऐसे कई घटनाओं को वो पहले भी अंजाम दे चुके है. या फिर अगर दिसम्बर में दिल्ली उबेर बलात्कार की घटना को देखा जाए. तो पता चलता है की उस ड्राईवर ने पहले भी बलात्कार किये थे और जेल की हवा खायी थी.

लेकिन जेल से वापस आने के बाद फिर वही हरकत.

तो क्या ये कहना गलत होगा की बलात्कार में अपराधी साबित हुए व्यक्ति को सजा-ए-मौत मिलनी चाहिए?

ताकि आगे भी ऐसे अपराध करने से पहले बाकी लोग सौ बार सोचे?

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