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बिना किसी सुरक्षा के 100 फिट ऊँचे टावर से छलांग लगाना, यह कैसी परम्परा है!

Jumping From Tower Without Safety

100 फीट ऊँचे लकड़ी के टावर से बिना किसी सुरक्षा के छलांग  लगाना ये सुनकर कोई भी हैरान रह जायेगा!

वास्तव में 100 फीट ऊंचाई से छलांग लगाना एक परम्परा है. यह परम्परा वनातु आइलैंड में हज़ारो सालों से चली आ रही है. इसको आज की बंजी जम्पिंग  की पूर्वज भी कहा जाता है.

इसको लैंड ड्राइविंग भी कहा जाता है. यह विश्व की खतरनाक परम्पराओं में से एक है.

इस परम्परा में एक व्यक्ति के दोनों पैरों  को उसके दोस्त पेड़ की रेशेदार जड़ों से मजबूत बांधते हैं, ये रेशेदार जडें इतनी लम्बी होती है कि  बंधे व्यक्ति का सीना धरती को स्पर्श कर सके.

इन रेशेदार जड़ों को माप कर बाँधा जाता है क्योकि रेशेदार जडें ज्यादा लम्बी या छोटी होगी तो दुर्घटना हो सकती है.

इस परम्परा से कई  कहानी और मान्यता  जुडी है, जो काफ़ी दिलचस्प है.

पहली मान्यता थी कि…

इस परंपरा की शुरुआत टमली नाम की एक औरत के अपने पति से नाराज होकर घर से भाग जाने से शुरू हुई.

कहा जाता है कि टमली अपने पति के ज्यादा शारीरिक संबंध बनाने की आदत से परेशान थी. यहां की किंवदंतियों में टमली के पति को काफी बलवान और हष्ट-पुष्ट पुरुष चित्रित किया गया है.

टमली एक दिन अपने पति से गुस्सा होकर जंगल की तरफ चली गई. टमली का पीछा करते हुए उसका  पति भी चला गया. अपने पति को पीछे आते देख कर टमली एक बरगद के पेड़ पर चढ़ गई और बरगद के पेड़ से निकली रेशेदार जड़ों को पैर में बांध कर पेड़ से छलांग लगा दी. अपनी पत्नी को पेड़ से कुद्द्ते देखकर उसके पति ने भी  तेजी से बरगद के पेड़ पर चढ़कर फिर छलांग लगा दी. टमली ने बरगद की जड़ों से अपने पैर बंधे हुए थे इसलिए वह बच गई लेकिन उसका पति मर गया.

तब से यहाँ के लोग अपने पैर में बरगद की तनो से निकले रेशेदार जड़ों को बांध कर छलांग लगते हैं ताकि ये धोखा दोबारा न हो.

दूसरी मान्यता

लैंड डाइविंग कि यह परम्परा कई मान्याताओं से जुडी है. ऐसा माना  जाता है कि जो भी इस परम्परा को सफलतापूर्वक करते है वह  भविष्य मे बिमारीयों से मुक्त रहता है तथा उसका पुरुषत्व अन्य लोगो से ज्यादा होता है।

तीसरी  मान्यता

यह मान्यता रतालू के उत्पादन से जुडी है. माना जाता है कि यदि सम्पूर्ण परम्परा अच्छी तरह से पूरी हो जाती है तो उस साल रतालू की  फसल बहुत अच्छी होति है।

लैंड ड्राइविंग मई जून के महीने में होती है .

सात साल की उम्र से लड़के इस प्रतियोगीता में भाग लेना शुरू  कर देते है.

इसके लिए महीनो पहले तैयारी की जाती है. इसके प्रतिभागीयों को उनकी पत्नी से और सेक्स से दूर रहना पड़ता है. औरते टावर के आस पास नहीं जाती और पहली रात को सारे प्रतिभागी उस पेड़ के नीचे सोतें है ताकि भुत प्रेत  या बुरी आत्मा से टावर बचा रहे.

ड्राइविंग के दिन प्रतिभागी अपने शरीर पर नारियल तेल लगाते है और गले में जंगली  सुवर का दांत पहनते है.

औरतें घांस पहनकर नाचती हैं .

वर्तमान में यह जगह एक पर्यटन स्थल बन गया है.

इसे देखने के लिए 125-150 $  फ़ीस होती है.

इसमें पर्यटक भी भाग ले सकते हैं लेकिन यह जोखिम भरा होता है इसलिए लोग डरते है .

यह परम्परा वह के लोग आज भी पूरे रीती रिवाज से निभा रहे हैं.