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मस्तराम से पोर्न बैन तक! पढ़िए लल्लू कैसे बढ़ा हुआ!

lalluram

आप सोच रहे होंगे कि यह लल्लू कौन है?

यह लल्लू हर वो लड़का है जिसने आज तक, कभी भी, किसी भी तरह के पोर्न का सेवन किया है और ख़ुद के जीवन को धन्य माना है! और जो पोर्न देख देख कर लल्लू से लल्लन गोपाल हो गया है!

वैसे भी हमारे देश में पोर्न देखे बिना कौन-सा लड़का बड़ा हुआ है?

बल्कि यूँ कहिये कि पोर्न देखना ही लड़कों के बड़े हो जाने की निशानी है! लल्लू से लल्लन गोपाल हो जाने का सफर हर लड़का तय करता है!

चलिए आपको लल्लू के जीवन की पोर्न-यात्रा के बारे में बताएँ!

वैसे तो भारतवर्ष में पोर्न का जन्म हज़ारों साल पहले खजुराहो की गुफ़ाओं में हुआ था लेकिन अब उतने पीछे नहीं जाएँगे| बात करते हैं कुछ दशकों पहले की जब चार-आठ आने में रसीली मॅगज़ीन्स बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर मिल जाया करती थीं| ध्यान रहे, वो कहानियों की मैगज़ीन हुआ करती थीं और उन में सबसे मशहूर थी मस्त राम! उत्तर भारत के हिंदी बोलने वाले प्रांतों में शायद ही कोई लड़का होगा जिसने मस्त राम की ज़िन्दगी से कुछ सीखा ना हो और अपने जीवन में उसे अपनाने की कोशिश ना की हो!

लल्लू भी उन्हीं में से एक था!

फिर वक़्त बदला और लल्लू की जेब में थोड़ी-बहुत पॉकेट मनी आनी शुरू हुई तो दोस्तों यारों के साथ मिल के पोर्न की तस्वीरों वाली रंगीन मैगज़ीन खरीदनी शुरू कीं| डेबोनैर और चैसटीटी जैसी पत्रिकाएँ लल्लू के तकिये या उसके हॉस्टल के कमरे या उसकी पढ़ाई की अलमारी में छुप-छुप के जीवन काट रही थीं! अगर पैसे थोड़े ज़्यादा होते तो किस्मत में प्लेबॉय जैसी महँगी पत्रिकाएँ आतीं और उसे अपने ख़ास दोस्तों के साथ बाँटने के लिए लल्लू ने सौदेबाज़ी भी कर डाली! जब देश में आये दिन रात को बिजली चली जाया करती थी तो मोमबत्ती की रौशनी में पोर्न मॅगज़ीन्स ने ही तो लल्लू को मच्छरों और गर्मी से लड़ने की प्रेरणा दी!

अभी लल्लू को इनकी लत लगी ही थी कि 90 के दशक में सी डी का ज़माना आ गया! घर-घर कंप्यूटर आने शुरू हो गए थे और उस पर पढ़ाई कम, पोर्न की सी डी ज़्यादा चला करती थीं! मानो एक नयी तरह की आज़ादी अपने ही कमरे में मिल गयी हो| और फिर शुरू हुआ इंटरनेट का ज़माना! देसीबाबा.कॉम ने देश के बच्चे-बच्चे को अचानक पोर्न से ऐसे मिलवाया जैसे कुम्भ के मेले में बिछड़े दो भाई मिलते हैं! लल्लू तो मानो दीवाना ही हो गया था! 24 घंटों का साथ हो गया दोनों का! फिर देखते ही देखते देसीबाबा के कई सारे भाई-बहन भी बाज़ार में आ गए| मतलब कि मिलते-जुलते नाम की ढेर सारी वेब साइट्स खुल गयीं एक ही मशहूर नाम को भुनाने के लिए और लल्लू ने सबको खुश किया, सभी वेब साइट्स पर जाके पोर्न देखा और जाने कितने पोर्न के व्यापारियों को अमीर बना दिया|

अरे अभी कहानी ख़त्म नहीं हुई!

लल्लू के लिए अभी और भी मज़ा बाकी है! पहले तो सिर्फ कंप्यूटर था, अब हाथ में स्मार्ट फ़ोन आ गया और वो भी पप्पा जी ने इंटरनेट से लैस करके दे दिया कि जा बेटा लल्लू, जी ले अपनी ज़िन्दगी! बस फिर क्या था, दिन भर दोस्तों-यारों के साथ पोर्न क्लिप्स, पोर्न की तसवीरें ही शेयर हुआ करतीं! यहाँ तक कि फ़ोन की कंपनियों को गाली भी इसीलिए दी जाती कि इंटरनेट की स्पीड क्यों कम है? अब 2 मिनट की ख़ुशी के लिए 15 मिनट वीडियो की बफ्फ़रिंग झेलनी पड़े तो ग़ुस्सा तो आएगा ना! जायज़ है लल्लू, क्यों?

अब जब सबने उसकी फ़रियाद सुन ली, देश में 4जी का ज़माना आ गया, मुफ्त वाई फ़ाई का दौर चल पड़ा तो सरकार ही दुश्मन निकली, पोर्न को बैन करने की बात कर डाली!

बताओ यह भी कोई बात हुई?

ऐसा लगा मानो लल्लू से कोई पिछले जन्म की दुश्मनी निकाली जा रही हो!

शुक्र है सरकार को सद्बुद्धि प्राप्त हुई और पोर्न को बैन करने का फ़ैसला वापस ले लिया वरना लल्लू का तो दिल ही दहल गया था! अब देखिये लल्लू उर्फ़ लल्लन गोपाल को, ख़ुशी के मारे यूँ चहक रहा है जैसे काला-पानी की सज़ा मिलते-मिलते रह गयी हो!

अब लल्लू कहाँ हुज़ूर, अब तो बस मियाँ लल्लन गोपाल है और स्मार्ट फ़ोन और 4जी का साथ!

कहते हैं ना, मिल बैठें तीन यार तो रात हो गुलज़ार!

बस, यही है कहानी लल्लू की – मस्तराम से पोर्न बैन तक की !