यात्रा और खान-पान

बिना पैसे खर्च किए कैसे करनी है पूरे भारत की सैर इस शख्स से सीखिए !

बिना पैसे भारत की सैर – भारत के किसी भी पर्यटन स्थल की सैर करने के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं. बिना पैसे के आप देश के किसी भी कोने की सैर करने के बारे में सोच भी नहीं सकते.

कहते हैं कि घूमने-फिरने का असली मजा तभी आता है जब जेब में पैसे होते हैं. लेकिन इस कहावत को झूठ साबित किया है इलाहाबाद के एक युवक ने.

इलाहाबाद के रहनेवाले एक युवक ने बिना पैसे भारत की सैर कर ली है. जो हर इंसान के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है.

बिना पैसे भारत की सैर

पैसा ही सबकुछ नहीं होता है और इसी बात को साबित करने के लिए इलाहाबाद तकनीकि महाविद्यालय से एमसीए और एमबीए की शिक्षा प्राप्त करनेवाले 28 वर्षीय अंश मिश्रा ने बिना पैसे देश के 29 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों की सैर की.

घूमने फिरने के शौकीन अंश मिश्रा ने 3 फरवरी 2017 से बिना पैसे के यात्रा शुरु की और करीब 250 दिनों की यात्रा कर अपने अंतिम पड़ाव जगदलपुर पहुंचने में कामयाब रहे.

18 हजार ट्रक चालकों ने दिया लिफ्ट

अंश मिश्रा की मानें तो उन्होंने 3 फरवरी 2017 से बिना पैसे की अपनी इस यात्रा की शुरूआत की और नेशनल हाइवे पर चलनेवाले वाहनों से लिफ्ट लेते हुए वो अपने सफर में आगे बढ़ते गए. हालांकि कई लोगों ने इस यात्रा के दौरान पैसों से अंश की मदद करनी चाही लेकिन अंश ने उसे स्वीकार नहीं किया.

अपनी इस यात्रा के दौरान अंश ने करीब 18 हजार ट्रक चालकों से लिफ्ट ली. इतना ही नहीं उनके साथ खाना बनाकर ट्रक के नीचे सोकर रातें भी बिताई. खास बात तो यह है किसी ने भी इस यात्रा के दौरान अंश के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया.

इस मकसद से शुरू की थी यात्रा

अंश की इस यात्रा के पीछे उसके तीन मकसद छुपे हुए थे. अंश की यात्रा का पहला मकसद उन लोगों की गलतफहमी को दूर करना था, जो ये सोचते हैं कि घूमने के लिए ढ़ेर सारे पैसों की जरूरत होती है.

अंश की यात्रा का दूसरा मकसद लोगों के दिमाग से भारत के कई क्षेत्रों को लेकर दिमाग में पल रही गलतफहमी को दूर करना था. आज भी ज्यादातर लोग मणिपुर और नागालैंड जैसे इलाकों में अकेले सफर करना सुरक्षित नहीं मानते.

अंश के सफर की तीसरी वजह लोगों की मानसिकता को बदलने का था. अंश की मानें तो आज भी हमारे देश में लोगों को उनके काम के हिसाब से इज्जत दी जाती है. ट्रक ड्राइवर और ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों को अनपढ़-गंवार समझा जाता है. जबकि उन लोगों की वजह से हमारे देश की इकोनॉमी चल रही है.

अंश का कहना है कि इस पूरे सफर के दौरान करीब 18 हजार ट्रक ड्राइवरों ने उन्हें लिफ्ट दी और उनका भरपूर साथ भी दिया.

इस तरह से हुई बिना पैसे भारत की सैर – गौरतलब है कि अंश ने जिस मकसद से इस यात्रा को शुरू किया था वो पूरा हुआ और इस यात्रा से जो अनुभव अंश को मिला है वो अनमोल है. इसके साथ ही अंश ने लोगों के सामने यह मिसाल भी पेश की है कि कहीं भी घूमने के लिए इंसान सिर्फ पैसों का मोहताज नहीं है.

Anita Ram

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Anita Ram

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