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कौन है पत्रकार जमाल खशोगी जिसकी खोज में है पूरी दुनिया

पत्रकार जमाल खशोगी

पत्रकार जमाल खशोगी – मीडिया एक ऐसा फिल्ड है जो बाहर से तो बहुत ही चकाचौंध दिखता है लेकिन अंदर की सच्चाई उतनी ही काली है। वही बॉलीवुड वाली हालत है। फर्क केवल इतना है कि बॉलीवुड में काम बहुत है ( कम से कम शोषण के बाद मिल जाता है) और मीडिया में शोषण बहुत अधिक है व शोषण होने के बाद काम भी नहीं मिलता है।

दूसरा फर्क यह है कि बॉलीवुड में टॉप के स्टार्स के साथ कुछ गलत नहीं होता।

लेकिन मीडिया में टॉप के पत्रकारों की जान सबसे ज्यादा खतरे में होती है। इसका एक्जाम्पल पिछले साल गौरी लंकेश की हत्या है। खुलेआम एक शाम वरिष्ठ पत्रकार को उनके घर के दरवाजे के सामने कुछ लोग गोली मारकर चले गए और एक साथ बाद भी उनके हत्यारों का कोई अतापता नहीं है।

पत्रकार नहीं हैं सेफ

और यह केवल अपने देश की बात नहीं है। पूरी दुनिया में पत्रकारों की जान सेफ नहीं है। हर पत्रकार पर तलवार लटकी हुई है। ताजा मामला पत्रकार जमाल खशोगी का है जिसकी खोज में पूरी दुनिया लगी है?

जमाल खशोगी

कौन हैं जमाल खशोगी?

पत्रकार जमाल खशोगी सऊदी अरब के पत्रकार हैं। फिलहाल वे अमेरिका में रह रहे थे और अमेरिका के लिए पत्रकारिता कर रहे थे। 59 वर्षीय जमाल खशोगी का जन्म सऊदी के धार्मिक शहर मदीना में हुआ था।

अपनी शुरूआती शिक्षा सऊदी में ही पूरी करने के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए थे। 1983 में अमेरिका की इंडिआना विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद खशोगी ने पेशे के रूप में पत्रकारिता के क्षेत्र को चुना। वे पहली बार तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने अफगानिस्तान में सोवियत संघ की सेनाओं और मुजाहिदीनों के बीच हुए संघर्ष की रिपोर्टिंग की थी।

उन्हें एक ऐसे पत्रकार के रूप में भी जाना जाता था जिसने उस समय अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन का कई बार साक्षात्कार लिया था जब अमेरिका और यूरोपीय देश उसकी तलाश में थे।

जमाल खशोगी

सऊदी अरब के अखबार में बने संपादक

इसके बाद वे 2003 में अपने देश सउदी अरब लौटे। वहां उन्होंने सऊदी अरब के सबसे चर्चित अखबार अल-वतन का संपादक का पद संभाला। लेकिन अपने क्रांतिकारी रवैय्ये के कारण वे इस पद पर ज्यादा दिनों तक टिके नहीं। वहां के धर्मगुरुओं के वे कट्टर आलोचक थे। लेकिन बाद में उन्होंने सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की नीतियों की मुखर आलोचना करनी शुरू कर दी। जिसकी वजह से उन्हें सऊदी अरब से निर्वासित कर दिया गया।

जमाल खशोगी

‘वाशिंगटन पोस्ट’ में लिखने लगे कॉलम

इसके बाद वे अमेरिका चले गए और वहां वे चर्चित अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट’ के लिए नियमित रुप से कॉलम लिखने लगे। इस कॉलम में भी वे सऊदी सरकार की नीतियों की आलोचना किया करते थे। उन्होंने पिछले साल बिन सलमान द्वारा राजकुमारों, मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों को जेल में डालने के पीछे की कहानी को दुनिया के सामने उजागर किया था।

स समय से ही सऊदी अरब उनसे परेशान है और पीछा छुड़ाने की कोशिश में था।

जमाल खशोगी

जान को खतरा

पत्रकार जमाल खशोगी को भी मालूम था कि उनकी जान की खतरा है। एक-दो बार उन पर हमले भी हुए हैं और उन्हें धमकियां भी मिली है। अब वे लापता है और इसका शक पूरी तरह से सऊदी अरब पर जाता है।

सऊदी अरब के दूतावास में खगोशी की हत्या

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के अनुसार, 2 अक्टूबर को इस्ताम्बूल स्थित सऊदी अरब के वाणिज्यिक दूतावास के भीतर जाने के दो मिनट के बाद ही पत्रकार जमाल खशोगी पर हमला किया गया और सात मिनट के भीतर उनकी मौत हो गई और 22 मिनट के अंदर उनके शरीर के अंगों को अलग-अलग कर दिया गया।

तो ये थी निर्भिक पत्रकार जमाल खशोगी की कहानी जिसकी खोज में फिलहाल पूरी दुनिया है फिर भी कोई खबर नहीं है। सच बोलने की यही सजा मिलती है।