ENG | HINDI

झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई की थी एक हमशक्ल ! झलकारी बाई से थर-थर कांपते थे अंग्रेज

झाँसी की रानी

इस कहानी को बहुत ही कम लोग जानते हैं कि रानी झाँसी की सेना में एक उन्हीं की तरह दिखने वाली एक हमशक्ल साथी भी थी.

इस योद्धा ने कई बार रानी झाँसी को परेशानियों से बचाया था. लेकिन फिर भी झलकारी बाईजी भारतीय इतिहास में वह जगह नहीं बना पाई हैं जिसकी वह हकदार थीं.

जी हाँ इस वीर महिला योद्धा का नाम झलकारी बाई था. वैसे बुंदेलखंड में झलकारी बाई जी की वीरतापूर्ण कहानी को आप यहाँ के घर-घर से सुन सकते हैं. एक कवि ने इनकी वीरता का वर्णन करते हुए लिखा कि-

“जा कर रण में ललकारी थी,
वह तो झाँसी की झलकारी थी,
गोरो से लड़ना सिखा गयी,
है इतिहास में झलक रही,
वह भारत की ही नारी थी!!”

पढ़िये इस वीर योद्धा का बलिदान

तब अंग्रेजों ने रानी लक्ष्मी बाई की सारी संपत्ति को हड़पने का कार्यक्रम बना लिया था. पहले रानी लक्ष्मी बाई से बोला गया कि वह आत्मसमर्पण कर दें. किन्तु जब रानी लक्ष्मी बाई ने लड़ने का मन बना लिया तो सभी उनकेसैनिकों ने भी इनकी हाँ में हाँ मिलाई.

झलकारी बाई, रानी की सेना में इनकी एक विश्वास की पात्र थीं. अंग्रेज भली भांति जानते थे कि झलकारी बाई से मुकाबला करना आसान नहीं होगा. और अगर जब लक्ष्मीबाई और झलकारी दोनों से साथ निपटना होगा तो यहकाम मुश्किल होगा.

रानी के महल पर हमला किया गया कई घंटों तक अंग्रेज बाहर से लड़ रहे थे. रानी के सेनानायकों में से एक दूल्हेराव ने उसे धोखा दिया और किले का एक संरक्षित द्वार ब्रिटिश सेना के लिए खोल दिया। जब किले का पतननिश्चित हो गया तो रानी के सेनापतियों और झलकारी बाई ने उन्हें कुछ सैनिकों के साथ किला छोड़कर भागने की सलाह दी। रानी अपने घोड़े पर बैठ अपने कुछ विश्वस्त सैनिकों के साथ झांसी से दूर निकल गईं.

जब झलकारी बाई का पति शहीद हो गया.

अब झलकारी बाई जी रानी लक्ष्मी बाई के वेश में युद्ध कर रहीं थीं. अंग्रेज यह समझ ही नहीं पाए थे कि लक्ष्मी बाई महल से निकल चुकी हैं. तभी झलकारी बाई को खबर मिली की उनके पति का देहांत हो चुका है लेकिन उनको तब अपने पति का वियोग नहीं हुआ था. वह मातृभूमि की रक्षा में शहीद हो गये थे. इसलिए तभी झलकारी बाई ने अपनी तलवार उठाई और अकेले अंग्रेजों की सेना के छक्के छुडा दिए थे.

युद्ध के बाद के दो मत हैं.

कुछ लोग मानते हैं कि झलकारी जी इसी युद्ध में शहीद हो गयी थीं और कुछ लोग मानते हैं कि अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. असलियत कुछ भी हो लेकिन सभी यह जानते हैं कि झलकारी बाई ने यहाँ लक्ष्मी बाई की रक्षा की थी और अपनी बहादुरी का परिचय भी खुद दिया था.