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मरने के बाद भी जयललिता ही है अपनी पार्टी की बॉस, राजनीति के इतिहास में पहली बार लिया गया फैसला

पूर्व मुख्यमंत्री और अभिनेत्री जयललिता

तमिलनाडू की पूर्व मुख्यमंत्री और अभिनेत्री जयललिता का हर क्षेत्र में जवाब नहीं।

उन्होंने फिल्मी कैरियर से लेकर राजनीति तक में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसे उनका टैलेंट कहें या उनकी किस्मत। तमिलनाडू के लोगों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और अभिनेत्री जयललिता उनकी अम्मा है। हाल ही में जयललिता का निधन हो गया। उनके निधन के बाद पूरे तमिलनाडू में मातम पसरा हुआ था। सरकार को चिंता इस बात की थी कि कहीं उनके निधन की खबरे सुनकर लोग आत्महत्या न करने लगे।

24 फरवरी 1948 जो जन्मी जयललिता जयराम बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी। स्कूल में पढ़ने के दौरान ही उन्होंने अंग्रेजी फिल्म ‘एपिसल’ में काम किया। उसके बाद उन्होंने कई फिल्मे की। पूर्व मुख्यमंत्री और अभिनेत्री जयललिता ने कन्नड़ और तमिल फिल्मों में काम करने के बाद राजनीतिक पारी शुरु की।

लगभग 40 साल के राजनीतिक कैरियर में उन्होंने बहुत ही बदलाव देखे।

अन्नाद्रमुक के संस्थापक एमजी रामचंद्र की करीबी थी। उनसे प्रभावित होकर ही जयललिता ने राजनीति में कदम रखा। रामचंद्र के निधन के बाद वो अन्ना द्रमुक की महासचिव बन गई। उसके बाद से लगातार वो पार्टी की महासचिव बनी रही।

साल 1982 में जयललिता ने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की। इस दौरान वो कई बार सांसद और मुख्यमंत्री रह चुकी है। पिछले साल ही 5 दिसम्बर 2016 को उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी के लिए लम्बी लड़ाई हुई। फिलहाल उनकी पार्टी के पन्नीस्वामी मुख्यमंत्री पद पर है।

हाल ही में सम्पन्न हुए एआईएडीएमके महापरिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि पार्टी के महासचिव पद पर पूर्व मुख्यमंत्री और अभिनेत्री जयललिता हमेशा के लिए बनी रहेंगी। इस पद पर अब पार्टी का कोई भी सदस्य नहीं बैठ सकता। इसके अलावा बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि महासचिव के सारे अधिकार पार्टी के संयोजक और सह संयोजक के पास होंगे।

इस बैठक में जो फैसले लिए गए वो इतिहास में पहली बार किसी पार्टी ने लिया है। भारतीय राजनीतिक इतिहास में यह पहली पार्टी है जिसने अपने किसी नेता के प्रति इतना लगाव दिखाया है।

इस फैसले के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री और अभिनेत्री जयललिता हमेशा के लिए पार्टी की बॉस बन गई है।