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जब प्रधानमंत्री नेहरु की ‘मनपसंद सिगरेट’ लाने के लिए 200 किमी दूर भेजा गया विमान!

जवाहरलाल नेहरु की सिगरेट

जब 1947 में भारत को आज़ादी मिली तो देश के पहले प्रधानमंत्री बने प. जवाहरलाल नेहरु।

पंडित नेहरु की गिनती उस वक्त वैश्विक नेताओं में की जाती थी। वैसे तो पंडित नेहरु ने भारत के विकास में जो योगदान दिया है उसे भुलाया नहीं जा सकता है।

लेकिन पंडित नेहरू का अपने पूरे कार्यकाल में कई विवादों और दिलचस्प किस्सों से भी नाता रहा है।

हालाँकि विवादों कि बात करके हम कोई नया विवाद नहीं खड़ा करेंगे, लेकिन उन दिलचस्प किस्सों में से भोपाल के एक किस्से को जरूर आपको बताना चाहेंगे।

दरअसल नेहरु जी को मध्यप्रदेश और भोपाल से खास लगाव हुआ करता था।

कहा जाता है कि वे शंकर दयाल शर्मा के काफी करीबी हुआ करते थे और शंकर दयाल शर्मा भोपाल के ही थे। उनका अक्सर भोपाल आना-जाना लगा रहता था. वे अपने पूरे शासनकाल में लगभग 18 बार भोपाल आये थे। ये बात भी उसी समय की है जब नया-नया मध्यप्रदेश का गठन हुआ ही था।

ये वाक्या तब का है जब वे अपने एक दौरे के दौरान भोपाल में थे।

नेहरु जी के बारे में कहा जाता है कि वे खासतौर पर 555 ब्रांड का सिगरेट पीते थे और उन्हें खाना खाने के बाद तो एक सिगरेट लगती ही थी।

लेकिन दुर्भाग्य से उस वक्त भोपाल में जवाहरलाल नेहरु की सिगरेट मौजूद ही नहीं थी. काफी ढूँढने के बाद भी पूरे भोपाल में जवाहरलाल नेहरु की सिगरेट मिल नहीं पा रही थी। तब पूरे राजभवन में भूचाल सा आ गया था, किसी को समझ नहीं आ रहा था कि जवाहरलाल नेहरु की सिगरेट आखिर कहां से लाये?

तब किसी तरह पता चला कि जवाहरलाल नेहरु की सिगरेट इंदौर में मिल सकती है।

फिर बहुत सोच-विचार करने के बाद एक विमान को भोपाल से 200 किमी. दूर सिगरेट लाने के लिए इंदौर भेजा गया। इंदौर एअरपोर्ट पर जल्दी से इसी ब्रांड के सिगरेट के कुछ पैकेट की व्यवस्था की गई और फिर तुरंत उसी विमान से सिगरेट के पैकेट भोपाल पहुंचाए गए।

अब आप कल्पना कीजिये कि एक सिगरेट के लिए पूरा विमान 200 किमी. दूर भेजा गया, बाकई में गजब है न।

आपको बता दें कि इस मजेदार घटना का जिक्र मध्यप्रदेश राजभवन की वेबसाइट पर भी है।