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इस साल भी होगा उत्तर प्रदेश और बिहार पर इस वायरस का हमला, बच सको तो बच लो!

(सूचना- इस रिपोर्ट का उद्देश्य किसी को डराना नहीं है बल्कि आपको सचेत करना है)

पुष्पा 3 बच्चों की माँ थी जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में रहती थी, पिछले साल उसको 3 दिन तक बुखार रहा था, अस्पताल में डॉक्टर ने कुछ दवा भी दी थी किन्तु इनको भर्ती करने के लिए अस्पताल में जगह नहीं थी इसलिए इनको घर भेज दिया गया था और अगले दिन इनकी मौत हो गयी थी.

आज बच्चों से माँ का साया उठ चुका है.

ना ही केंद्र सरकार इस ओर अभी ध्यान दे रही है और ना ही उत्तर प्रदेश और बिहार की सरकार.

आइये अब बताते हैं कि कौन सी बीमारी और वायरस देश पर हमला करने वाला है और क्या हमारे अस्पताल तैयार हैं –

हर साल देश में जापानी बुखार हमला करता है. इसका प्रभाव उत्तर प्रदेश और बिहार पर सबसे ज्यादा रहता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ उत्तर-पश्चिम भारत में ही इस वायरस से 20 वी सदी में लगभग 10 हज़ार जानें जा चुकी हैं.

सन 2011 से 14 तक इस बीमारी से लगभग 1800 मौतें हुई थी देश के अन्दर और हज़ारों लोग इस बिमारी के चपेट में आ गये थे.

क्या है जापानी

यह जापानी इंसेफ्लाइटिस नामक वायरस से होने वाली बीमारी है, यह वायरस सूअरों और जलपक्षियों से पैदा होता है. मुख्य रूप से यह बीमारी धान की पैदावार वाले क्षेत्र और जहां पीने के लिए साफ पानी की कमी है, वहां अधिक फैलती है. अधिक गर्मी व नमी के मौसम में यह बीमारी होने लगती है. अप्रैल से दिसम्बर के बीच इस बीमारी के मरीज पाए जाते हैं.

इतिहास में देखो

देश में यह बीमारी सबसे पहले 1955 में तमिलनाडु में आई थी. सन 1976 से 80 के दशक में इसने पश्चिम बंगाल के अन्दर 1500 जानें लीं थी.

उत्तर प्रदेश में यह बीमारी 1979 में दर्ज की गयी और आज हर साल औसतन 1700 से 4000 केस दर्ज हो रहे हैं.

हर साल अप्रैल में यह हमला करना शुरू करता है और अब इसके हमले का वक़्त भी आ चुका है. लेकिन अब तक केंद्र की सरकार और ना ही राज्यों की सरकार इस पर किसी तरह की तैयारी करते नजर आ रहे हैं.

1976 से अब तक भारत में 6 हज़ार बच्चे ही अपनी जान गँवा चुके हैं. लेकिन यह मुद्दा नहीं बन पाया है किसी के लिए भी जिस पर संसद में बहस की जा सके.

लक्षण :

– अचानक तेज बुखार आना और लगातार बने रहना
– शरीर के अंगों में जकड़न, चमकी व ऐंठन होना
– बच्चे का सुस्त होना व बेहोश हो जाना
– शरीर सुन पड़ जाना व कोई हरकत ना होना.

बचाव :

– पीने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें
– मच्छरों से बचाव करें। जब सोने के लिए जाएं तो मच्छरदानी का प्रयोग करें.
– अपने आसपास का वातावरण साफ रखें। घर के बाहर अगर उगी झाड़ियां व गंदा पानी जमा है तो उसे तुरंत साफ करें। इनसे मच्छर ज्यादा पनपते हैं.
– पहनने के लिए सूती कपड़ों का इस्तेमाल करें और शरीर को पूरा ढककर रखें.
– बच्चों को धान के खेतों व तालाब के नजदीक खेलने के लिए ना जाने दें.
– खुले मे शौच ना जाएं.
– खाना बनाने और खाने से पहले हाथ जरूर धोएं.

(स्रोत – Asian Journal of Pharmaceutical and Clinical Research, सभी आंकड़े इस रिपोर्ट के आधार पार तैयार किये गये हैं.)

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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