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वक़्त आ गया है! समाज के रक्षकों को नैतिकता का पाठ पढ़ना ही होगा

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हमसे समाज है और इस लिए हमारा दाइत्व है की इस समाज की हम रक्षा मिलकर करे.

जैसे देश की रक्षा सीमा पर सैनिक करते है, वैसे ही देश के अंदर  समाज की सुरक्षा पुलिस के हाथ होती है. किंतु यही समाज के रक्षक अब भक्षक बन रहे है. ऐसे में आम लोग जाये भी तो कहा जाए. किससे गुहार लगाए.

जो जनता पहले से कई समस्याओं से पस्त है, उनको अपने परिवार का पेट पालने से फुर्सत नहीं मिलती. ऐसे में वो कहा और किसे अपना दर्द सुनाते घूमेंगे.

आए दिन अपराध में इजाफा

सरकार बदलती है, अपराध को लेकर उनके आस्वाशन बड़े होते है. रोक थाम करने के लिए नई हेल्प लाइन निकालते है. क़ानून में बदलाव करके अधिक सक्त बनाते है. ये सब दिखावे के बावजूद अपराध पर कोई रोक नहीं लगी है.

मतलब तो साफ़ है, गुनहगार ना तो शिक्षा से डर रहे है और ना ही पुलिस की मार से.

ऐसे में गुनाहगारों की साठगाठं स्थानिक पुलिस से लेकर सफ़ेद पोशो के साथ नाकारा नहीं जा सकता.

क्या किया समाज के रक्षकों ने?

एक तो बढते हुए अपराधों ने जनता के नाक में दम कर दिया है. ऊपर से  कार्यवाही के नाम पर दिलासा के चलते लोगों का गुस्सा पुलिस पर परवान चढ़ रहा है. इस स्थिति में यह समाज के रक्षक पुलिस अपने ही कर्त्तव्य से भाग कर अपराध का साथ दे रहे है.

चंद पुलिस वालों को छोड़ अधिकतर पुलिस हफ्ता वसूलने में माहिर है. यहा तक सब ठीक है, इससे निजाद पाने के लिए ACB काफी हद तक कारगर है. इस तरह गए ही हुए पैसे तो मिल जाते है मगर पुलिस बलात्कार जैसा शर्मसार कर देने वाला अपराध भी बड़ी ही आसानी से लगा देती है, उसको तो पैसे से मतलब होता है। और हद तो तब होती है जब सच में यौन पीड़िता की केस तक दर्ज नहीं की जातीहै। खाकी वर्दी के लिए ये इससे घृणास्पद बात और क्या हो सकती है.

कारुणिक आपबीती

१६ वर्षीय नाबालिक लड़की के साथ २ पुलिस कॉनस्टेबलों ने महीनो दुरव्यवहार किया. एक कॉन्स्टेबल कौशल काकडे को गिरफ्तार कर लिया गया जबकी दूसरे फरार कॉन्स्टेबल इरफान खान की तलाश जारी है.

इस मामले में इससे पहले पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें पीड़िता की मां और सौतेला पिता भी शामिल हैं.

वहीं, आरोपी कॉन्स्टेबलों के खिलाफ मिडिया के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाही न करने के लीये  ठाणे पुलिस खुद संदेह के घेरे में आ गई है.

इस लड़की के पिता बचपन में गुजर गए इसलिए उसकी  माँ ने दोबारा शादी की. बताया जाता है उसके सौतेले पिता ने पहले बच्ची के इज्जत पर हाथ डाला और पैसों की लालच में माँ बाप ने बच्ची को वेश्यावृत्ति में ढकेल दिया है. अपनी जिंदगी से तंग लड़की को नशा करने की आदत लगी और एक दिन वह सड़क पर बेहोशी के हालत में मिली और तब इस नाबालिक लड़की कि यह आपबीती उजागर गुई.

अन्य भी कई किस्से है जिसमें पुलिस ने बलात्कार जैसे अपराध किए है!

इसी साल का वाकया उत्तर प्रदेश के मूसाझाग क्षेत्र में दो पुलिसकर्मियों ने किशोरी को रास्ते से उठा लिया और थाने ले जाकर दुष्कर्म किया था.

रात करीब आठ बजे थाना क्षेत्र के एक गांव की 14 वर्षीय लड़की घर से बाहर निकली थी. आरोप है कि इसी दौरान पास से गुजरते मूसाझाग थाने में तैनात दो पुलिसकर्मी जो शराब के नशे में धुत थे. किशोरी को जबरन जीप में डालकर थाने ले गए. किशोरी की हालत बिगडऩे पर दोनों पुलिसकर्मी जीप से उसे गांव के बाहर छोड़कर भाग निकले. बदहवास किशोरी ने घर पहुंचकर बताया तो आरोपी सिपाहियों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

ढेड साल पहले यूपी के कोतवाली क्षेत्र की पुलिस चौकी लालपुर में भी पुलिसकर्मियों ने धार्मिक स्थल पहुंची युवती से दुष्कर्म किया था. इस मामले में सभी आरोपियों पर मुकदमा हुआ और एक आरोपी को बर्खास्त कर दिया गया था. तब तत्कालीन एसएसपी को भी कुर्सी गंवानी पड़ी थी.

सरकार को इन सभी मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए. आखिर समाज के रक्षक ही शर्मनाक अपराध क्यों लगातार कर रहे है? इस के बारे में सोच विचार करते हुवे, कोई हल जरुर निकालना चाहिए.

कोई भी समस्या क्यों हो रही है, ये जाने बगेर केवल अपराधी को दंड देने से कोई मतलब नहीं बनता. घटनाओं का कारण अगर सामने आता है, तो इसे जड़ से निकालने में अधिक सहायता होगी और तब जाके एक सुरक्षित समाज बनेगा. समाज के रक्षकों को नैतिकता का पाठ पढ़ना ही होगा