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मूर्तिपूजा पाप है? तो नमाज़ पढना भी पाप है!

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800 या 900 सालों तक भारत पर दूसरे देशों के लोगों ने राज किया है.

कभी मुग़ल आए तो कभी अँगरेज़, कभी पुर्तगाली आए तो कभी फ्रांसिसी! सभी ने भारत को लूटा! मैं लूटा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मुझे और कोई यथार्थ शब्द नहीं मिला.

और भारत ने क्या किया? भारत में बसे लोगों ने क्या किया? सिर्फ हाथ पर हाथ धरे देखते रहे!

ये सभी जानते हैं कि 17वीं सदी तक भारत दुनिया का सबसे अमीर राष्ट्र था. लेकिन फिर अँगरेज़ आए और उसके बाद तो इतिहास गवाह रहा है!

तो दोस्तों! यह था भारत का परिचय मेरी ज़ुबानी! आज का मुद्दा है ‘मूर्तिपूजा’!

जो बात इस्लाम में कही जाती है कि मूर्तिपूजा एक पाप है, क्या वाकई में सच है?

इस्लाम वजूद में आया कुछ 1500 साल पहले. अगर इसकी तुलना सनातन धर्म से की जाए तो यह चींटी के आकार और सारी की सारी आकाश गंगा के आकार की तुलना से कम नहीं! सनातन धर्म की तुलना में इस्लाम एक जवान धर्म है.

इस्लामी मान्यताओं के हिसाब से मूर्तिपूजन एक पाप है और सनातन धर्म में मूर्तिपूजन न जाने कब से चला आ रहा है…

अगर कोई मुसलमान किसी हिंदू को यह कहता है कि मूर्तिपूजा एक पाप है तो एक हिंदू को बराबर का हक़ है उससे एक सवाल पूछने का, जो औरतों के साथ इस्लाम धर्म में किया जाता है, क्या वह सही है?

मेरा पूरा भरोसा है कि इसका जवाब कोई मुसलमान नहीं दे पाएगा! और अगर दे भी दे तो शायद वह जवाब किसी गूंगे के गाए गाने से कम नहीं होगा!

मैं कहता हूँ कि मूर्तिपूजा में ऐसा क्या है जो इस चीज़ पर पाप का ठप्पा लगाया जा रहा है?

आपके धर्म में इतने जानवर मार काटकर खाए जाते हैं, क्या ये बात सही है? औरतों को मारा-पीटा जाता है, उन्हें ज़बरदस्ती बुरखा पहनाया जाता है, क्या यह बात सही है? खैर औरतों के साथ दुर्व्यवहार तो हिंदू भी करते हैं लेकिन वे कभी ये सब करने के लिए धर्म का सहारा नहीं लेते!

आप माने या ना माने लेकिन इस्लाम एक पुरुष प्रधान धर्म है! आप कहेंगे कि हिंदुत्व भी ऐसा है! जी नहीं! बिलकुल नहीं! जब इस्लाम पैदा भी नहीं हुआ था, तब से सनातनी,  दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, काली, सीता, पार्वती आदि देवियों की पूजा करते आ रहे हैं!

वापस चलते हैं मूर्तिपूजन की तरफ.

क्या हुआ अगर हिंदू धर्म के लोग मूर्तिपूजन करते हैं? क्या हुआ अगर उनके पास सभी देवी देवताओं की तस्वीरें मौजूद हैं? क्या यह किसी तरह से किसी चीज़ को नुक्सान पहुंचा रहा है? क्या यह आतंकवाद फैला रहा है?

आप जानते हैं आतंकवाद कौन फैला रहा है? आप तो जानते ही होगे!

अगर आपका धर्म कहता है कि ‘जाओ धर्म के नाम पर हज़ारों बेक़सूर लोगों को बमों, गोलियों, हवाई जहाज़ों के ज़रिए ख़ाक कर दो’, तो क्या आपका धर्म शत प्रतिशत शुद्ध है?

मेरा सवाल धर्म के उन सभी ठेकेदारों से है बाकी सभी धर्म के लोगों को अपना दुश्मन मानते हैं.

सभी लोग कहते हैं कि हिटलर द्वारा यहूदियों का खात्मा इतिहास का सबसे बड़ा जनसंहार था! लेकिन यह बिलकुल गलत है! दुनिया का सबसे बड़ा जनसंहार था हिन्दुओं का और वह भी न जाने कितने सारे अलग-अलग देश के लोगों द्वारा! इतिहास हमें बताता है कि करीब 10 से लेकर 12 करोड़ हिन्दुओं को मृत्यु दी गई थी! मुग़लों द्वारा, अंग्रेजों द्वारा…. और ये सब कौन थे? दूसरे धर्म के लोग!

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि एक मनुष्य को मूर्ति या छवि के ज़रिये एक सही राह मिलती है परमात्मा की पूजा करने के लिए और अगर ये कोई पाप है तो मैं सबसे बड़ा पापी हूँ!

क्या किसी हिंदू ने कभी कहा है कि दिन में 5 बार नमाज़ पढना एक पाप है?

मक्का जाकर हज्ज करना एक पाप है?

तो न जाने क्यों कुछ मुसलमान, हिन्दुओं की मूर्तिपूजा की शैली को एक पाप का नाम देकर बदनाम करने में जुटे हैं?

मैं कहता हूँ कि अगर आपकी कौम, आपका धर्म, आपकी रिलिजन सही है तो लोग उसे अपने आप अपनाएंगे! आपको दूसरी जगहों में जाकर अपने धर्म का प्रचार करने की क्या ज़रूरत है?

नेपाल में जब भूकंप के बाद भुखमरी फैली थी तब बाइबिल भेजी गई थीं! नीचता का इससे बड़ा उदाहरण मैंने तो कहीं नहीं देखा!

सनातन धर्म का कभी भी प्रचार नहीं हुआ और आज हज़ारों सालों बाद भी यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है!

मैं यह नहीं कहना चाहता कि दुनिया के बाकी सभी धर्म बेकार, निकम्मे, और किसी काम के नहीं है! मैं यह कहना चाहता हूँ कि दुनिया में ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं जिन्हें सभी धर्म के लोग मिलकर सुधार सकते हैं! उदाहरण है आतंकवाद!

क्यों किसी धर्म की आध्यात्मिकता की शैली पर सवाल उठाना? किसी धर्म में खामियां नहीं होतीं, खामियां होती हैं तो केवल लोगों की सोच में!

मेरे ख्याल से अबतक मूर्तिपूजन को लेकर आपके दिमाग में मची हलचल ख़त्म हो गई होगी!

आपका इस आर्टिकल के बारे में क्या विचार है?

आखिर मूर्तिपूजन को बेमतलब बहस का विषय क्यों बनाया जाता है?