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आई एस आई एस आ पहुँचा है सिर पर, लेकिन हम लगे हैं ललित मोदी का ढोल पीटने!

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देश-विदेश में हज़ार तरह की दिक्कतें रोज़ दस्तक दे रही हैं!

कहीं आर्थिक तो कहीं आंतकवाद तो कहीं भ्रष्टाचार से पीड़ित हैं लोग| समझदारी यह कहती है कि उस मुश्किल का सामना पहले करो जो आपके सिर पर नाच रही है बजाये उसके जिसे कुछ समय बाद भी संभाला जा सकता है|

लेकिन लगता है कि हमारे देश की मीडिया के साथ-साथ सरकार भी अपनी सूझ-बूझ खो चुकी है| 24 घंटे न्यूज़ चैनल सिर्फ ललित मोदी, वसुंधरा राजे सिंदिया, स्मृति ईरानी और सुषमा स्वराज की ख़बरों को दिखाए जा रहे हैं जबकि इस भ्रष्टाचार से हज़ार गुना बड़ी मुसीबत, आई एस आई एस के रूप में हमारे दरवाज़े खटखटाने ही वाली है! और ध्यान रहे, यह आतंकवादी संघठन खटखटाएँगे नहीं, दरवाज़ा तोड़ के अंदर घुस जाएँगे!

जी हाँ, अभी कुछ ही दिन पहले ख़बरों में था कि आई एस आई एस ने अफ़ग़ानिस्तान के सीमा के पास के काफ़ी बड़े हिस्से में धावा बोल के उसे तालिबान से हथिया लिया है| पाकिस्तान में आये दिन आई एस के झंडे दिखते रहते हैं और कश्मीर में भी इक्का-दुक्का उनके समर्थक नज़र आने लगे हैं| माना कि हमारे देश में अभी आई एस के इतने समर्थक नहीं हैं और यहाँ के मुसलमान अमन-शांति चाहते हैं लेकिन सिर्फ इस के ही बल पर हम इतनी बड़ी मुसीबत को वो तवज्जोह न दें जो देनी चाहिए तो इसका साफ़ मतलब यह है कि हम तबाही को न्योता दे रहे हैं|

पूरा एक साल हो गया अमरीका और उसके सहयोगी देशों को मिल के आई एस के ख़िलाफ़ लड़ते हुए लेकिन हालात यह हैं कि यह संघठन अभी भी मज़बूत है और अपनी पहुँच अब पूरे विश्व में फैला रहा है| जब अमरीका जैसा बलवान देश उन्हें रोक नहीं पा रहा तो हम कितना रोक पाएँगे? तो क्या यह ज़रूरी नहीं है कि हम बेकार की बातों को ज़्यादा तूल न देते हुए इस ख़तरे के बारे में बात करें?

इस से निपटने के लिए क्या क़दम उठाये जा रहे हैं उनके बारे में लोगों को अवगत कराया जाए? कुछ आतंकवादी हमले अचानक होते हैं और पता ही नहीं चलता कि क्या कैसे हो गया| लेकिन इस संघठन के बारे में एक साल से सबको पता है, उनके आतंकवादी धीरे-धीरे हमारी तरफ आ रहे हैं वो भी दिख रहा है| लेकिन हमारी सरकार और मीडिया है कि कबूतर की तरह आँखें बंद किये बैठी है और सोच रही है कि पहले भरष्टाचार ख़त्म करें, जो पिछले साठ साल से नहीं हुआ, उसके बाद लोगों की ज़िन्दगी बचाएँगे!

मुद्दे उठाना बहुत ज़रूरी है, सरकार को गलत काम करने से रोकना भी मीडिया का काम है, लेकिन ज़रूरी मुद्दों को नज़र-अंदाज़ करके उन मुद्दों पर बहस करना जिनसे सिर्फ़ टी आर पि मिलती है, यह तो एक जुर्म है!

आशा है मीडिया और सरकार दोनों आई एस आई एस के मुद्दे ओ गंभीरता से लेंगें और जनता में जागरूकता फैलाने का काम करेंगे! सुरक्षा पहले आती है, बाकी सब बाद में!