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शाहरुख़ खान कहीं आप भी ‘असहिष्णुता’ को तो बढ़ावा नहीं दे रहे!

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इसमें कोई दो राय नहीं की शाहरुख़ खान ना सिर्फ हिंदी सिनेमा जगत के अपितु मनोरंजन कि दुनिया के सबसे बड़े सितारे है.

शाहरुख़ खान और विवादों का चोली दामन का साथ है. हमेशा वो विवादों में फंसते रहते है.

हाल ही में अपने जन्मदिन के दिन शाहरुख़ खान ने एक बहुत बड़े विवाद को जन्म दिया. उनके जन्म दिन से लेकर अब तक सोशल मीडिया में लाखों लोग उनके बयान के बाद उनके पक्ष और विपक्ष में मोर्चा खोल चुके है.

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आइये जानते है ऐसा क्या कहा शाहरुख़ खान ने जो विवाद का कारण बन गया

अपने जन्मदिन के दिन एक इंटरव्यू में शाहरुख़ खान ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में देश का माहौल बिगड़ रहा है. लोग धार्मिक रूप से असहिष्णु होते जा रहे है, कट्टरता बढ़ रही है जो भारत के लिए खतरा है और मुसलमान होने के नाते उन्हें इन सब चीजों से ज्यादा डर लगता है.

शाहरुख़ के इस इंटरव्यू के बाद से ही सोशल मीडिया में आग लग गयी. अचानक ही शाहरुख़ सबके विरोध का केंद्र बन गए . विरोध करने वालों कि भाषा भी ऐसी कि सुनने वाले को भी शर्म आ जाये.

एक बार फिर शाहरुख़ को देशद्रोही कहा गया और पाकिस्तान चले जाने कि बात कही जाने लगी. वहीँ दूसरी और शाहरुख़ का समर्थन करने वाले भी पूरे ज़ोर शोर से मैदान में कूद पड़े.

क्या ये शाहरुख़ का पब्लिसिटी स्टंट था या फिर शाहरुख़ जोश में कुछ ज्यादा ही बोल गए?

जहाँ तक बात पब्लिसिटी स्टंट कि है तो शाहरुख़ खान आज जिस मुकाम पर है वहां उन्हें किसी पब्लिसिटी कि ज़रूरत नहीं पड़ेगी. खासकर एक हिन्दू बहुल देश में वो हिन्दुओं के खिलाफ नकारात्मक बोलकर अपनी फिल्म का फायदा नहीं  करवा सकते.

इसलिए दूसरा कारण ज्यादा तार्किक लगता है.

अवार्ड वापसी और इसी तरह के अन्य घटनाओं को देखकर शाहरुख़ शायद ज्यादा ही जोश में आ गए और जितना बोलना था उससे ज्यादा बोल गए.

शाहरुख़ ने भारत कि सहिष्णुता पर सवाल उठाया. वो भारत जहाँ उनकी हर फिल्म को सर आँखों पर बैठाया जाता है. अमेरिका में उनके साथ दुर्व्यवहार होने पर धर्म, जाती सब भूल कर लोग अपने चहते स्टार के पक्ष में खड़े हो जाते है.

शाहरुख़ को समझना चाहिए कि उनके फैन भी करोड़ों कि संख्या में है और घृणा करने वाले भी. ऐसे में उनके द्वारा इस प्रकार सार्वजानिक रूप से अपने विचार व्यक्त करना बहुत से लोगों कि मानसिकता पर असर डाल सकता है.

हम सब जानते है एक फिल्म सितारे को पागलपन कि हद तक चाहने वाल अधिकतर लोग छोटे शहरों में होते है. अब ये जो लोग है इन्हें अगर असहिष्णुता शब्द का मतलब भी नहीं पता हो और भाईचारे से मिलकर रहते हो तो वो भी अपने नायक कि बात सुनकर शायद अपने आस पास वालों से डरने लगे या फिर उनपर शक करने लगे.

शाहरुख़ ने बात चाहे सीधी और सरल रूप में कही हो लेकिन अच्छा ये होता कि वो ये बात देश  के प्रतिनिधियों से कहते ना कि अपने चाहने वाले फैन्स और साधारण जनता से.

जनता बहुत भोली होती है वो बातों को समझती नहीं बल्कि अन्धानुकरण करती है ऐसे में शाहरुख़ खान ही नहीं हर एक प्रसिद्ध हस्ती की जिम्मेदारी बनती है कि वो इस प्रकार के गैरजिम्मेदाराना बयानों को सार्वजानिक रूप से देने से बचे.

कई बार ऐसा भी होता है कि सामने वाला कहना कुछ चाहता है लेकिन मीडिया उस बात को कुछ इस तरह से पेश करती है कि अर्थ का अनर्थ हो जाता है.