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अखिलेश यादव जी, 5 साल में कभी आपको लगा था कि आप हिंदू हो !

अखिलेश यादव जी

अखिलेश यादव जी जब आप उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो कभी आपको लगा कि आप हिंदू हैं, जो आप आप कह रहे हो कि भाजपा वाले उन्हें हिंदू ही नहीं समझते.

भाजपा के समझने न समझन से कोई हिंदू और मुसलमान नहीं बनता और रही बात आपको अपने को हिंदू साबित करने के लिए मंदिर जाने से पहले फोटों ट्वीट कर बताने की, तो इसकी भी कोई आवश्यकता नहीं है.

अखिलेश जी आज आप को यह क्यों बताना पड़ रहा है कि आप धार्मिक रूप से हिंदू हैं. सत्ता में रहते क्या कभी आपको याद आई जिस मंदिर में आप जाने की बात रहे हैं आपके शासन में उनका क्या हाल था. त्यौहारों के दौरान उनके माइक बंद कराकर उतार दिए जाते थे ताकि आपका सेक्युलिरिज्म सलामत रहे. उस वक्त आप कब न्याय संगत रह पाए. आप तो हमेशा अपने रामपुर वाले चाचा को खुश करने में लगे रहे.

अखिलेश जी आपने अपने कार्यकाल में सिर पर अरबी टोपी पहनकर न जाने कितनी बार इफ्तार की पार्टियों में शिरकत की होगी और अपने यहां दी होगीं.

लेकिन क्या आपको याद आ रहा है आपके सत्ता में रहते कोई ऐसा क्षण आया हो जब आपको लगा हो कि एक मुख्यमंत्री के साथ आप हिंदू भी है और नवरात्र मेले में जाकर आपको अपने हिंदू धर्म के कार्य का भी निर्वहन करना चाहिए.

क्या आपने कभी अपने कार्यालय में रोजा इफ्तारी की तरह नवरात्र व्रत का आयोजन किया था.

अखिलेश यादव जी आप तो दंगों में जहां आपको तटस्थ रहना था वहां भी आपने मुस्लिम तुष्टीकरण का बाना ओड़ लिया था. आपके शासन काल में तो ऐसा लगा कि मुस्लिम पीड़ित था और हिंदू प्रताड़ित करने वाला.

यही नहीं जब आपने राज्य के खर्च पर मुस्लिम लड़कियों को शिक्षा दी तो उस समय आपके मन यह नहीं आया होगा कि हिंदुओं में गरीब लोग होते हैं और वहां भी आपकी कुछ बहने ऐसी है जो गरीबी के कारण शिक्षा के मंदिर का द्वार नहीं देख पाती है.

अखिलेश यादव जी आप 5 साल देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री थे. आपको उस दौरान न तो हिंदू बनना था और न ही मुसलमान.

लेकिन आपने सत्ता और वोटों की खातिर शासक के इमान तक को दांव पर लगा दिया. आपको दंगों में भी वोट तलाशते नजर आए. दंगा पीड़ितों के घर जाना भी हुआ तो उस वक्त भी आपने वोटों के लिए मजहब खोज लिया था.

आज आप उस भाजपा से हिंदूत्व का सर्टिफिकेट मांग रहे हो जिसकों आप कहते थे कि वो काई हिंदुओं की ठेकेदार नहीं है.

अखिलेश यादव जी आपके बयानो से लगता है कि आपको आपनी हार के कारणों का तो साफ एहसास हो रहा है लेकिन आप उन्हें खुलकर स्वीकार करने और बोलने से डर रहे हो.