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सन 1918 में आई इस वायरस त्रासदी से मरे थे 50 करोड़ लोग ! पहचान लीजिये इस वायरस को

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कहते हैं कि सन 1918 किसी भी लिहाज से पूरे विश्व के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ था.

इस साल ना सिर्फ इंसान अपनी जान बचाने के लिए भागा-भागा घूम रहा था बल्कि पशु और जीव जन्तु भी लाचार नजर आ रहे थे.  साल की शुरुआत में ही कहीं भूकंप था, कहीं सूखा, ज्वालामुखी फूट रहे थे और कहीं नरसंहार हो रहा था.

कुछ जानकार लोग बताते हैं कि उस साल ऐसे हालात थे कि जैसे लग रहा था अब पृथ्वी खत्म हो रही है. धरती का अंत होने वाला है. सब खत्म हो रहा था. भारत में उन दिनों काफी राज्यों में भयंकर अकाल पड़ रहे थे. दूसरी तरफ आजादी की लड़ाई चल रही थी.

वायरस ने कोहराम मचाया:-
यह एक फ्लू वायरस था. जिसको हम H1N1 के नाम से पहचानते हैं.  यह अब तक के सबसे अधिक खतरनाक वाइरस की श्रेणी मे आता है. तब इसको डाक्टर लोग स्पेनिस फ्लू के नाम से पुकार रहे थे. यह त्रासदी विश्व की अब तक की सबसे भयानक त्रासदी में गिनी जा रही है. इसकी भयानकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्पेनिस फ्लू से कुछ 50 करोड़ लोग मरे थे.

भारत में यह फ्लू:-
उन दिनों भारत आजाद नहीं था. भारत में बाहर के देशों से लोग काफी संख्या में आ रहे थे. ब्रिटिश लोग जानकर भी अनजान बने हुए थे. सभी को लग रहा था कि भारत एक सुरक्षित जगह है. यही एक वजह इस देश के लिए खतरनाक रही. अमीर लोग तो अपना ईलाज करा पा रहे थे लेकिन गरीबों को दर्दनाक मौत के लिए छोड़ दिया गया था. इस स्पेनिस फ्लू से भारत में लगभग डेढ़ करोड़ लोग मारे गये थे. यह आंकड़ा तो वह है तो सरकार बताती है. लेकिन कुछ पुराने जानकार बताते हैं की आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा था यह संख्या कुछ दो से तीन करोड़ के बीच थी.

हो क्या रहा था:-
इस वायरस से लोग बुखार की चपेट में आ रहे थे. ठंड और शरीर जकड़ने लग रहा था. यह वायरस इतना खतरनाक था कि इंसान के शरीर में जाने के बाद यह और भी ज्यादा खतरनाक बन रहा था. वैसे डॉक्टर हैरान थे कि अधिकतर लोग जो मर रहे हैं वह जवान ही क्यों है?

यह इंसानी जाति के लिए सबसे बुरा समय बताया जाता है. ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई बड़ी प्रलय आ गयी है.

इंसान बस अपनों की मौत देख रहा था.

इतनी बड़ी त्रासदी को इतिहास ने भूला दिया है या वह याद नहीं करना चाहता है इस बात का तो अनुमान लगाना मुश्किल है लेकिन यह मानव जाति का अंत ही बताया जा रहा था.

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