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इंदिरा गांधी की टीम के 4 खलनायक जिनकी वजह से इंदिरा को हो सकती थी जेल !

श्रीमती इंदिरा गांधी

31 अक्टूबर 1984 के दिन एक दुखद हादसे में देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़कर चली गयी थीं.

वैसे श्रीमती इंदिरा गांधी का राजनैतिक करियर भी काफी उठा-पटक से भरा हुआ रहा था. श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा भारत में 1975 में लगाया गया आपातकाल भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे बड़ी घटना थी.

12 जून, 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर उन पर छह साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा दिया था. किन्तु इंदिरा गांधी ने कोर्ट के इस आदेश को मानने से साफ इंकार कर दिया. इसके बाद उस समय के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बोलने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा कर दी थी.

इस पूरे घटनाक्रम के पीछे श्रीमती इंदिरा गांधी की टीम के 4 मुख्य खलनायकों का दिमाग बताया जाता है लेकिन उनकी चर्चा कम ही होती है. आज हम आपको इन्हीं 4 खलनायकों के बारें में बताने वाले हैं-

1. संजय गांधी 

संजय गांधी, अपनी माता इंदिरा गाँधी के चहेते थे. जब माँ के खिलाफ कोर्ट का निर्णय आया था तो आपातकाल जैसे शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले संजय गांधी ने ही किया था. जानकार बताते हैं कि जिन लोगों की गिरफ्तारियां हो रही थीं उनके नामों की लिस्ट भी संजय गांधी ने ही तैयार करवाई थी. यहाँ तक कि कांग्रेस पार्टी भी कई बार बोल चुकी है कि संजय गांधी का आपातकाल के पीछे कुछ प्लान था. शायद संजय इंदिरा गाँधी को तानाशाह सिद्ध करके कुछ हासिल करना चाहते थे. कई रिपोर्ट यह भी बताती हैं कि संजय गाँधी कुछ 35 सालों तक आपातकाल रखने का प्लान बना रहे थे.

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2. सिद्धार्थ शंकर राय

सिद्धार्थ शंकर राय उस समय पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे. जिस समय यह सब घटनाक्रम चल रहा था तो उस समय सिद्धार्थ शंकर राय दिल्ली में ही थे. खुद इंदिरा गांधी ने सुबह इनको फ़ोन पर अपने यहाँ बुलाया और बताया कि देश में स्थिति सही नहीं है. लोग सड़कों पर आ रहे हैं. तब सिद्धार्थ शंकर राय ने इंदिरा को आपातकाल लागू करने के लिए राजी किया था. बोला जाता है कि यही वह शख्स था जिसने इंदिरा को आपातकाल लागू करने के लिए मनाया था.

श्रीमती इंदिरा गांधी

3. वी.सी. शुक्ला

वी.सी. शुक्ला को आपातकाल का दिल बोला जा सकता है. यह खलनायक नंबर तीन थे जो आपातकाल को लागू कराने में जी-जान से लगे हुए थे. वैसे आपातकाल से पहले वी.सी. शुक्ला रक्षा राज्य मंत्री थे किन्तु जब सूचना प्रसारण मंत्री कुमार गुजराल ने श्रीमती इंदिरा गांधी का वोट क्लब वाला भाषण दूरदर्शन पर आने से रोका तो इस बात से इंदिरा की टीम बहुत खफा थी. इसीलिए वी.सी. शुक्ला को सूचना प्रसारण मंत्री बनाया गया था और आपातकाल में कलम पर रोक लगाने वाले यही वी.सी. शुक्ला कांग्रेस के लिए अवतार साबित हुए थे.

श्रीमती इंदिरा गांधी

4. देवकांत बरुआ

देवकांत बरुआ इस समय इंदिरा गांधी की टीम में अच्छे और विश्वसनीय लोगों में शामिल थे. ऐसा लगता है कि आपातकाल का असली मजा इंदिरा गांधी को नहीं बल्कि देवकांत बरुआ को आ रहा था. इन्होंने आपातकाल की पूरी योजना को कागज पर इस तरह से उतारा था जैसे कि यह आपातकाल कोई पंचवर्षीय योजना थी.

श्रीमती इंदिरा गांधी

तो इस प्रकार से इन चार खलनायकों ने देश के अदंर आपातकाल के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई थी. वैसे अगर श्रीमती इंदिरा गांधी मनमानी पर उतर रही थीं तो उसकी वजह यह चार नेता ही थे, जो अपने दिमाग से आपातकाल को अंजाम दे रहे थे.

इनकी वजह से वैसे श्रीमती इंदिरा गांधी बुरी तरह से फंसने भी वाली थीं जिसकी चर्चा हम आगे के लेख में करेंगे.