ENG | HINDI

आखिर क्यों ज्यादातर भारतीय टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल नहीं करते !

टॉयलेट पेपर

आज भी अधिकांश भारतीयों को वेस्टर्न टॉयलेट और टॉयलेट पेपर का सही तरीके से इस्तेमाल करना नहीं आता है. क्योंकि आज भी वो इंडियन स्टाइल वाले टॉयलेट और सफाई के लिए टॉयलेट पेपर के बजाय पानी का ही उपयोग करते हैं.

वहीं दूसरी तरफ दुनिया के ज्यादातर देशों के लोग सिर्फ वेस्टर्न टॉयलेट और टॉयलेट पेपर का ही उपयोग करते हैं. उन्हें भारतीय शैली वाले टॉयलेट और पानी का इस्तेमाल करने की आदत नहीं होती है.

आज भारत दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा है तो ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर क्यों अधिकांश भारतीय आज भी टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

पानी को सबसे सुरक्षित मानते हैं भारतीय

आज भी भारतीय लोग टॉयलेट पेपर के बजाय पानी का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं इस बारे में भारतीयों की राय है कि मल को साफ करने के लिए पानी ही सबसे सुरक्षित और हाइजीनिक तरीका है.

इसके अलावा अगर भारतीय पानी का इस्तेमाल करते हैं तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है भारत का मौसम जो ना ज्यादा ठंडा है और ना ही ज्यादा गर्म. भारत के मौसम के चलते भारतीय पानी का आसानी से इस्तेमाल कर पाते हैं.

कई देशों में होता है टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल

दुनिया के कई विकसित देशों में लोग टॉयलेट जाने के बाद सफाई के लिए टॉयलेट पेपर का ही इस्तेमाल करते हैं. दरअसल दुनिया के कई देशों का मौसम बेहद ठंडा होता है, जहां सर्द हवाओं और बर्फ जैसे ठंडे पानी के बीच लोगों को रहना पड़ता है.

ऐसे में इन देशों में रहनेवाले लोगों के लिए अपने मल को साफ करने के लिए बर्फीले पानी का इस्तेमाल करना बेहद मुश्किल होता है. इसलिए विदेशों में पानी की जगह टॉयलेट पेपर के इस्तेमाल को ज्यादा बेहतर माना जाता है.

भारतीयों की कई आदते हैं सबसे अलग

भारतीय टॉयलेट पेपर के बजाय पानी के इस्तेमाल को ज्यादा अहमियत देते हैं इसके अलावा उनकी कई आदते ऐसी हैं जो दुनिया के बाकी देशों में रहनेवाले लोगों से बेहद अलग है.

एक ओर जहां दुनिया के बाकी देशों में लोग चम्मच और कांटे से खाना खाना पसंद करते हैं तो वहीं भारतीयों को खाने का असली मजा हाथ से खाने में आता है.

विदेशों में अक्सर लोग टाई और जूते पहने हुए नजर आते हैं जबकि भारत में टाई और जूते लोग तभी पहनना पसंद करते हैं जब ये उनका ड्रेस कोड या यूनिफॉर्म होता है.

गौरतलब है शौच के बाद पानी से मल को साफ करने की ये परंपरा सदियों से चली आ रही हैं इसलिए आज भी ज्यादातर भारतीय सदियों पुरानी इस परंपरा को निभा रहे हैं.