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ये वो भारतीय शख्स है जिसने ATM मशीन का आविष्कार किया !

अक्सर एटीएम के बाहर कैश निकालने में हम घण्टों कतार में लगना पसंद करते हैं। क्योंकि कैश नहीं, तो गुजारा संभव नहीं।

मगर उन लम्बी-लम्बी कतार में खड़े होने के बीच आपका ध्यान कभी एटीएम के इतिहास पर गया?

कभी सोचा है कि किसने ATM का आविष्कार किया?

लेकिन ATM का आविष्कार जिसने किया  उस व्यक्ति के बारे में जानकारी होनी चाहिए। क्योंकि एटीएम की बदौलत ही भारत का नागरिक, कहीं से, किसी स्थान से भी कैश ले सकते हैं।

फिर ये जानना जरूरी होता है की ATM का आविष्कार किसने किया हैं।

तो हमारा भी कर्तव्य है कि जिन्होंने भारत को इंटरनेशनल स्तर पर पहुंचाया लोग उन्हें जानें।

हालांकि एटीएम की पहली मशीन 27 जून 1967 में लंदन के बार्कलेज बैंक ने लगाई थी।

यह मशीन कड़ी मेहनत के बाद स्कॉटलैंड के इन्वेंटर जॉन शेफर्ड बैरन ने बनाई थी। खास बात यह है कि दुनियाभर में एटीएम के जरिए लोगों को बैंक की लंबी-लंबी लाइनों से बचाने वाले जॉन शेफर्ड बैरन का जन्म 23 जून 1925 को मेघालय के शिलांग में हुआ था। उस समय उनके स्कॉटिश पिता विलफ्रिड बैरन चिटगांव पोर्ट कमिश्नरेट के चीफ इंजीनियर थे।

ATM का आविष्कार

यह पढ़ने के बाद, अब सवाल जरूर आएंगे कि एटीएम कार्ड कैसे बना, इसका पिन किसने दिया ?

इन सवालों के जवाब जानने के लिए इस पूरे आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें। यह आप जान गए हैं कि लंदन में बार्कलेज बैंक की एक शाखा में दुनीया का पहला कैश देने वाला एटीएम लगा था। मगर यह मशीन पहले वाउचर के द्वारा पेमेंट करती थी, जो पहले से बैंक की शाखा से प्राप्त किया जात सकता था।

इसके बाद 1968 में बार्कलेज और अन्य बैंकों ने एक ऐसी एटीएम लगाई, जिसमें पैसा निकालने के लिए कार्ड का इस्तेमाल करना पड़ता था।

यह कार्ड बैंक से पहले लेना पड़ता था। एक कार्ड एक बार मशीन में डालने पर बाहर नहीं आता था और हर बार नए कार्ड का इस्तेमाल करना पड़ता था।

ATM  पिन से जुड़ी यह खास बात है कि बैरन एटीएम का पिन 6 डिजिट रखने के पक्ष में थे, लेकिन उनकी पत्नी ने उनसे कहा कि 6 डिजिट ज्यादा है और लोग इसे याद नहीं रख पाएंगे। इस कारण बाद में उन्होंने चार डिजिट का एटीएम पिन बनाया। आज भी चार डिजिट का ही पिन चलन में है।