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दक्षिण एशियाई देशों की हवा से इसलिए अलग है भारत की हवा

भारत की हवा

आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि भारत की हवा दक्षिण एशियाइ देशों की हवा से अलग है।

ये हम नहीं बल्कि यूरोप का ये यान बता रहा है जो पिछले दिनों अंतरिक्ष पर पहुंचकर पृथ्वी की फोटो खींच कर भेजा है। इस फोटो में भारत के ऊपरी हवाओं की तस्वीर बाकि अन्य दक्षिण देशों की हवाओं से अलग नजर आ रही है। ऐसा भारत की हवा में मौजूद फ़ॉर्मलडिहाइड के कारण हुआ है।

अब इसका क्या कारण है?

क्या प्रदूषण की वजह से ऐसा हो रहा है?

या फिर हमारे देश की हवा अन्य देशों की हवा की तुलना में ज्यादा हेल्दी है?

क्या है कारण? ये जानने के लिए आपको पूरा आर्टिकल पढ़ना होगा।

भारत की हवा

यूरोप के नए उपग्रह सेंटनल-5पी ने भेजी यह तस्वीर

इस बात की चर्चा यूरोप के नए उपग्रह सेंटनल-5पी द्वारा भेजी गई तस्वीर से शुरू हुई है। इस तस्वीर में भारत रेड रंग में नजर आ रहा है। ऐसा क्यों?

ऐसा फॉर्मलडिहाइड की वजह से है। दरअसल भारत के ऊपर मौजूद वायुमंडल में फॉर्मलडिहाइड मौजूद होता है। इसी कारण से भारत की हवा पड़ोसी देशों से अलग नजर आती है। फॉर्मलडिहाइड एक रंगहीन यानी कलरलेस गैस है।

कैसे पैदा होती है यह गैस?

भारत की हवा

फॉर्मलडिहाइड गैस प्राकृतिक तौर पर पेड़-पौधों और अन्य वनस्पतियों के जरिए छोड़ी जाती है। लेकिन इसके साथ-साथ प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों के कारण भी यह गैस पैदा होती है। वायमुंडल में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसे अहम घटकों की तुलना में फॉर्मलडिहाइड (CH₂O) का सिग्नल बहुत कमजोर होता है जिसके कारण मान सकते हैं कि इसके बारे में अब तक बात शायद इसलिए ही पाए हैं।
फॉर्मलडिहाइड में कई तरह के अस्थिर जैविक यौगिक होते हैं। वनस्पति उनका प्राकृतिक स्रोत है मगर आग या प्रदूषण के कारण भी उनकी मात्रा बढ़ सकती है।

सेंटनल-5पी उपग्रह

भारत की हवा

पिछले साल यूरोप ने सेंटनल-5पी उपग्रह को दुनिया भर में हवा की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए अंतरिक्ष में भेजा था। उसी के बरक्स इस उपग्रह ने ये सारी तस्वीरें भेजी है। ऐसा माना जा रहा है कि इस उपग्रह के जरिए जुटाई जा रही जानकारियों के माध्यम से वायुमंडल को साफ रखने के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।

इस उपग्रह में ट्रोपोमी नाम का उपकरण लगा है जो वायुमंडल में फॉर्मलडिहाइड के अलावा नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन, सल्फर डाइऑक्साइड, मीथेन, कार्बन मोनॉक्साइड और एरोसोल्स (छोटे वाष्प या कण) के कणों के बारे में जांच करता है। ये सारी गैस सांस लेने में दिक्कत पैदा करती हैं। इन्हें जलवायु में परिवर्तन होने का कारण भी माना जाता है।

कैसे बढ़ रही है इस गैस की मात्रा भारत में?

भारत की हवा

आग लगाना भारत में फॉर्मलडिहाइड की मात्रा के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है। गौरतलब है कि आज भी भारत के गांवों में अधिकतर लोग कोयले और लकड़ी से चुल्हा जलाकर खाना बनाते हैं। इसके अलावा जंगल की आग और खेतों में लगाई जाने वाली आग भी इसका कारण है।
तो अगली बार से किसी भी तरह के कचड़े को जलाने से पहले दस बार सोचिएगा कि कहीं आप भी भारत की हवा को प्रदूषित करे में सहयोग तो नहीं दे रहे हैं।