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भारत और रूस के बीच होने जा रहा है ये करार जिसके बाद दुनिया भर में खलबली मचना तय है !

भारत और रूस

भारत और रूस में जल्द ही एक बड़ा करार होनों जा रहा है।

अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही भारत और रूस मिलकर 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट प्लेन का डिजाइन तैयार करेगा।

ऐसा होने के बाद भारत की वायु सेना अपने पड़ोसी चीन की वायु सेना के मुकाबले में आ खड़ी होगी। इससे न केवल चीन के हौसलें पस्त होंगे बल्कि पाकिस्तान में भी खलबली मच जाएगी।

इसके लिए काफी समय से रूस से बात चल रही है लेकिन अब उम्मीद है कि जल्द ही डील पर अंतिम मुहर लग जाएगी। आपको बता दें कि भारत और रूस की इस परियोजना पर दुनिया भर की नजरें टिकी हैं।

इसका कारण है कि भारत और रूस से सयुंक्त उपक्रम के तहत जो ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल बनाई है उसकी काट आज भी दुनिया के पास नहीं है। इसलिए दुनिया के देशों को लगता है कि यदि भारत और रूस के बीच मिलकर 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट प्लेन तैयार करने का समझौता हो गया तो इा बार भी ये कोई ऐसा प्लेन तैयार करेंगे जिसकी काट पूरी दुनिया के पास नहीं होगी।

जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने इस डील के लिए अपना ग्राउंड वर्क पूरा कर लिया है। इसके लिए सरकार ने कांटैक्ट को तैयार कर लिया है और अगले 6 महीनों में इस पर हस्ताक्षर होने की भी संभावना है।

आपको बता दें कि दोनों देश इसको न केवल को-डेवलप करेंगे बल्कि भारत इस टेक्नोलॉजी में बराबर का अधिकारी भी होगा। भारत की तरफ से पहल कर रहे अधिकारियों ने रूस से कहा कि उसको सारे कोड और क्रिटिकल टेक्नोलॉजी का एक्सेस मिलें, जिससे वो एयरक्रॉफ्ट को अपने हिसाब से अपग्रेड कर सके।

गौरतलब हो कि पिछले साल फरवरी में दोनों देशों के बीच इस प्रोजेक्ट को लेकर के बातचीत शुरू हुई थी। इसको लेकर पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपनी सहमति दे दी थी। ज्ञात हो कि भारत और रूस ने इस प्रोजेक्ट पर वर्ष 2007 में अपनी सहमति दी थी, लेकिन इस पर किसी तरह का कोई डेवलपमेंट 10 सालों में नहीं हुआ था।

हालांकि दिसंबर 2010 में भारत फाइटर प्लेन के डिजाइन के लिए रूस को 295 मिलियन डॉलर देने को राजी हुआ था। उस वक्त बात नहीं बन पाई थी। लेकिन जब से कें्रद में नरेंद्र मोदी की सरकार आई है तब से इस दिशा में काफी प्रगति हुई है।

आपको बता दें कि भारत के लिए 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को हासिल करना बेहद जरूरी है। क्योंकि पड़ोसी देश चीन 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाने के बेहद करीब है। उसने उसका प्रोटोटाइप बना लिया है।

अब यदि भारत और रूस इस विमान को बनाने को तैयार हो जाते हैं तो भारत की वायु सेना को इस क्षेत्र में बढ़त मिल सकती है।

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