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अब चीन और पाकिस्तान भारत पर परमाणु हमला करने से पहले 100 बार सोचेंगे क्योंकि

भारत ने एक ऐसी मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है जिसके बाद पाकिस्तान हो या फिर चीन, भारत पर परमाणु हमला करने से पहले 100 बार सोचेंगे.

क्योंकि यदि दुश्मन ने गलती से भी भारत पर परमाणु हमला किया तो भारत का तो कुछ नहीं बिगडे़गा लेकिन उसके जवाब में भारत की जो मिसाइल उसके खिलाफ दागी जाएगी उसको रोक पाना आसान नहीं होगा.

आपको बता दें कि यदि कोई देश भारत पर मिसाइल से हमला करता है तो भारत के पास वह तकनीक है कि उसको वह हवा में ही नष्ट कर देगा. इसके बाद भारत अपनी ब्रह्मोस मिसाइल से जो पलटवार करेगा उसको रोक पाना न तो चीन के बस की बात है और न ही पाकिस्तान के.

जानकर खुशी होगी कि भारत ने ओडिशा के तट से अपनी इंटरसेप्टर ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक प्रायोगिक परीक्षण किया और द्विस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने की दिशा में एक अहम उपलब्धि हासिल की. यह बैलिस्टिक मिसाइल भारत पर परमाणु हमले के खतरे को नाकाम करने की दिशा में कारगर साबित होगा.

11 फरवरी को जब इस इंटरसेप्टर मिसाइल को आईटीआर के अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप) से सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया तो इस मिसाइल ने हॉलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्म स्टार वार्स के हथियारों की याद ताजा करा दी.

गौरतलब है कि रक्षा अनुसंधान विकास संगठन यानी डीआरडीओं द्वारा विकसित पीडीवी नामक यह मिसाइल पृथ्वी के वायुमंडल से 50 किमी ऊपर बाहरी वायुमंडल में स्थित लक्ष्यों को आसानी से बेद सकती है.

बताते चलें कि पीडीवी इंटरसेप्टर और दो चरणों वाली लक्ष्य मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ. लक्ष्य को दरअसल 2000 किमी से अधिक दूरी से आती शत्रु बैलिस्टिक मिसाइल के तौर पर विकसित किया.

इसकी क्षमता जांचने के लिए एक मिसाइल को बंगाल की खाड़ी में एक पोत से दागा गया तो एक स्वचालित अभियान के तहत रडार आधारित प्रणाली ने शत्रु की बैलिस्टिक मिसाइल की पहचान कर ली.

रडार से मिले आंकड़ों की मदद से कंप्यूटर नेटवर्क ने आ रही बैलिस्टिक मिसाइल का मार्ग पता लगा लिया.

जैसे कंप्यूटर सिस्टम से जरूरी निर्देश मिले तो पहले से ही तैयार पीडीवी को छोड़ दिया गया. बस फिर क्या था. भारत के पूर्वी समुद्र तट पर 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपनी तरफ आ रही मिसाइल को इस इंटरसेप्टर मिसाइल ने दिशासूचक प्रणालियों की मदद से पहचान लिया और मिसाइल को हवा में मार गिराया.

आसमान में ही दुश्मन के मिसाइल को खत्म करने में सक्षम ये मिसाइल दुनिया में केवल चार या पांच देशों के पास ही है.

गौरतलब हो कि दो चरण का पीडीवी इंटरसेप्टर मिसाइल डीआरडीओ द्वारा विकसित किए जा रहे द्विस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम का हिस्सा है.

यह इंटरसेप्टर मिसाइल परमाणु आयुध ढोने में सक्षम पृथ्वी मिसाइल पर आधारित है. पूरी तरह स्वचालित इस प्रणाली में सेंसर, कंप्यूटर व लॉन्चर लैस यह इंटरसेप्टर 80-120 किलोमीटर के दायरे में आने वाली मिसाइलों को आसमान में ही ढूंढकर उन्हें नष्ट कर सकता है.

Vivek Tyagi

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