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रक्षा के इस मामले में भारत ने रूस को भी पीछे छोड़ दिया है

भारत रक्षा क्षेत्र में आगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद भारत में जिस क्षेत्र पर सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है वह है रक्षा क्षेत्र. भारत रक्षा क्षेत्र में आगे है.

मोदी सरकार भारत की सुरक्षा को लेकर कितना सजग है इसका पता इस बात से चलता है कि भारत रक्षा क्षेत्र में आगे है. भारत ने रक्षा खर्चों के मामले में रूस को भी पीछे छोड़ दिया है.

भारत का रक्षा खर्च 51 अरब डालर का है तो वहीं रूस का रक्षा बजट 49 अरब डालर है.

भारत जहां हवा में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अपने बेड़े में आधुनिक लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ा रहा है तो वहीं समुंद्र में अपनी पनडुब्बियों को परमाणु हथियारों से लैस कर रहा है. थल सेना के लिए एक से एक मारक हथियारों का जखीरा बढ़ाया जा रहा है.

ब्रिटिश विश्लेषक कम्पनी जेन्स डिफेन्स बजट ने हाल ही में सन् 2016 की जो रिपोर्ट जारी की है, उसके अनुसार रक्षा क्षेत्र में खर्च करने में भारत रूस से भी आगे निकल गया है.

रिपोर्ट के अनुसार विगत 30 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब रूस दुनिया के उन 5 देशों की सूची से बाहर आ गया है, जो हथियारों की खरीद और देश की सुरक्षा पर सर्वाधिक खर्च करते हैं. जब रूस दुनिया के उन 5 देशों की सूची से बाहर आ गया है. इस सूची में क्रमशः अमरीका, चीन और ब्रिटेन का नाम सबसे ऊपर है.

सूची में चैथे नम्बर पर भारत को रखा गया है, जिसने सऊदी अरब और रूस को पीछे छोड़ दिया है. हालांकि देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद में रक्षा खर्चों का प्रतिशत देखा जाए तो इस दृष्टि से रूस आज भी अमरीका, चीन और यूरोप से आगे है.

समाचारपत्र फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार 1990 के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है जब रूस पांचवें स्थान से भी नीचे खिसक गया है.

जबकि भारत लगातार अपने रक्षा बजट को बढ़ा रहा है.

भारत एक ओर जहां अपना रक्षा बजट बढ़ा रहा है तो वहीं दूसरी ओर वह अपनी सेनाओं की जरूरत को पूरा करने के लिए स्वदेशी तकनीक और उनके आधुनिकरण पर भी बल दे रहा है.

गौरतलब है कि भारत को अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे देशों से हथियार खरीदने पड़ते हैं. इस कारण उसके रक्षा बजट की बहुत बड़ी राशि विदेशों से रक्षा साजो सामान आयात करने में व्यय करनी पड़ती है.

दुनिया के मानचित्र में भारत आज एक उभरती हुई महाशक्ति है. भारत रक्षा क्षेत्र में आगे है. दुनिया के ताकतवर देशों के क्लब में शामिल होने के लिए भारत को अपने रक्षा क्षेत्र में काफी निवेश करना है ताकि जो पैसा भारत दुनिया से हथियार खरीदने में खर्च करता है उससे वह अपनी जरूरत के दो गुने हथियार अपने देश में बना सके.