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इस गांव में दूल्हा-दुल्हन नहीं बल्कि दो दुल्हनें एक-दूसरे के साथ लेती हैं सात फेरे!

कहने को तो हमारा देश तरक्की की राह पर तेजी से आगे बढ़ते हुए दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चल है लेकिन यहां आज भी कई ऐसी परंपराओं का पालन किया जाता है जिसके बारे में सुनकर ऐसा लगता है कि हम आज भी प्राचीन काल की जीवनशैली का हिस्सा हैं.

खासकर हिंदू धर्म में शादी ब्याह को लेकर कई तरह की मान्यताएं और उससे जुड़ी परंपराएं प्रचलित हैं जिनके बारे में सुनकर हैरानी होती है.

आज हम आपको शादी से जुड़ी एक ऐसी ही अजीबो-गरीब परंपरा से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसका पालन करते हुए आज भी दो लड़कियां सात फेरे लेकर एक-दूसरे से शादी करती हैं.

यहां बिना दूल्हे के ही होती है शादियां

दरअसल गुजरात के छोटा उदयपुर जिले में सालों से जिस परंपरा का निर्वाह किया जा रहा है उसके मुताबिक शादी में दूल्हा अपनी दुल्हन को नहीं लेने जाता बल्कि बिना दूल्हे के ही शादी की सारी रस्में अदा की जाती हैं.

इस जिले के सुरखेड़ा, अंबाला और सनाड़ा गांव में रहनेवाले राठवा समाज में दूल्हा बारात लेकर जाने के बजाय घर पर रहकर ही अपनी दुल्हन का इंतजार करता है जबकि उसकी कुंवारी बहन वो सारी रस्में अदा करती है जो दूल्हे को निभानी होती है.

दूल्हे की बहन लेती है भाभी संग सात फेरे

दूल्हे की बहन ही घोड़ी चढ़कर दुल्हन के घर बारात लेकर जाती है. जहां वो शादी की सारी रस्में निभाते हुए दुल्हन को वरमाला पहनाती है और अपनी भाभी के साथ सात फेरे लेती है.

दूल्हे की बहन दुल्हन के साथ फेरे लेने के बाद उसकी विदाई कराकर उसे अपने साथ ससुराल लेकर आती है और फिर उसे घर पर इंतजार कर रहे दूल्हे को सौंप देती है.

ससुराल में दुल्हन के जैसे ही कदम पड़ते है उसके बाद एक बार फिर से दुल्हन की शादी उसके दूल्हे से पूरे रीति-रिवाज के साथ कराई जाती है.

आपको बता दें कि यह परंपरा पिछले 300 सालों से निभाई जा रही है. इसके पीछे मान्यता है कि इस गांव के देवता कुंवारे हैं. जिसके चलते इस गांव का कोई भी मर्द दुल्हन से ब्याह करने के लिए बारात लेकर उसके घर नहीं जाता है.

बहरहाल हर समाज की अपनी-अपनी अलग मान्यताएं होती हैं जिनका वो नियमपूर्वक पालन करते आ रहे हैं यही वजह है छोटा उदयपुर के इन तीन गांवों में दो दुल्हनें एक-दूसरे के साथ सात फेरे लेकर विवाह के बंधन में बंधती हैं.