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हिंदुस्तान में मुस्लिम नहीं, हिंदू कट्टरवादी ज़्यादा हैं!

hindu-extremists

मुसलमानं और आतंकवाद: मानो एक ही सिक्के के दो पहलु!

ऐसा लगता है ना आपको भी?

पर सच्चाई इस से बहुत परे है! विश्वास कीजिये, दुनिया के दूसरे कोनों में क्या चल रहा है, उसे ज़रा एक तरफ़ रख के सिर्फ़ हिंदुस्तान पर नज़र डालें तो जानेंगे कि हमारे देश में हिंदू कट्टरवादी ज्यादा हैं! अगर हमारे देश के अंदर कोई आतंकवाद फैला रहा है तो मुस्लिम नहीं, ख़ुद हिंदू हैं और दोष मढ़ा जा रहा है सभी मुसलमानों पर!

नहीं मानते आप?

चलिए आपको कुछ आंकड़े दिखाएँ और फिर आप ख़ुद ही फैसला कीजियेगा|

सन २०१४ में भारत में आतंकवाद की वजह से कुल मिलाकर 976 मौतें हुईं| इन में से ४६५ मौतें थीं उत्तर-पूर्व राज्यों में. उसके बाद आई बारी ३१४ लोगों की जो कि माओवाद का शिकार बने| और आखिर में १९३ लोग मरे जम्मू और कश्मीर के आतंकवाद में! ऐसे ही आंकड़े सन २०१३, २०१२ और २०११ के भी रहे हैं|

सन २०१३:

माओवाद: ४२१

उत्तर-पूर्व: २५२

कश्मीर और इस्लामिक आतंकवाद: २०६

सन २०१२:

माओवाद: ३६७

उत्तर-पूर्व: ३२६

कश्मीर और इस्लामिक आतंकवाद: ११७

सन २०११:

माओवाद: ६०२

उत्तर-पूर्व: २४६

कश्मीर और इस्लामिक आतंकवाद: २२५

इस साल के भी आंकड़े इसी तरह हैं तो फिर आप ही बताईये कि कहाँ हैं वो मुसलमान आतंकवादी जिनसे हम सब इतना डरे हुए हैं?

हिंदू आतंकवादियों की जगह मीडिया और सरकारी अफ़सरों ने उन्हें माओवादियों का नाम दे दिया है| उनकी की गयी हत्याओं को छिट-पुट घटनाओं का नाम दिया जाता है, जबकि कश्मीर की हर मौत आतंकवादी हत्या बतायी जाती है!

किस लिए है यह भेदभाव?

शायद इसलिए क्योंकि हमारे नेताओं को वोट मिलने में आसानी होती है और अपने घर को साफ़ करने की बजाये, दूसरों का कूड़ा दिखाना आसान हो जाता है|

ज़ाहिर सी बात है कि ना ही तो नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार का कोई भी मंत्री इस बात को मानेगा और ना ही मीडिया भी इस बात को सबके सामने खुले रूप में लाएगी|

इसलिए ज़रूरी है कि हम और आप, यानि की आम आदमी, अपने आँख-कान खुले रखें और मुसलमानों के ख़िलाफ़ चले रहे प्रतिकूल प्रचार का जम के विरोध करें! वह भी उतने ही भारतीय हैं जितने कि हिंदू! और बुरा आदमी बुरा होता है, धर्म, जात-पात देख के बुराई नहीं आती किसी में!

कोशिश यह करनी होगी कि आतंकवादियों को धर्म का चोगा ना ओढ़ाएं, बल्कि उन्हें ख़ूनी और दोषी करार करके उन्हें सज़ा दें! चाहे वो किसी भी धर्म के क्यों ना हों!