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इंजीनियरिंग करने गए! डॉक्टर बन के आये! है न जादू?

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हमारे देश में पिछले करीब सौ साल से पीढ़ी दर पीढ़ी डॉक्टर-इंजीनियर बनने के सपने लेकर बड़ी होती आई है|

आज हम भले ही उस मानसिकता को गाली देते हैं जो बच्चों को रट्टू तोता बना सिर्फ डॉक्टर-इंजीनियर बनाने की प्रेरणा देती है पर सच तो यह है कि हमारे देश में आज भी सैकड़ों डॉक्टरों-इंजिनीरियों की कमी है|

अगर देश को तरक्की करनी है तो हमें पढ़े लिखे लोगों की ज़रुरत है और बदलती जीवनशैली के चलते डॉक्टरों की ज़रुरत दिन-दुगुनी रात-चौगुनी बढ़ रही है|

कोशिश तो हर कोई करता है डॉक्टर बनने की लेकिन सफ़ल कुछ चुनिंदा लोग ही होते हैं| उसका एक मुख्य कारण यह भी है कि देश में उतने मेडिकल कॉलेज हैं ही नहीं जो हमारी ज़रुरत अनुसार डॉक्टर्स पैदा कर सकें| कुछ हज़ार सीटों के लिए हर साल लाखों बच्चे एंट्रेंस इक्ज़ाम देते हैं और उनमें से कुछ ही अपनी प्रतिभा के बल पर चुने जाते हैं| कुछ और को मौक़ा मिलता है अपने पैसे के दम पर एडमिशन लेने का| बाकि बच्चे बी एस सी या एम बी ए जैसे कोर्सेज़ कर के अलग ही दिशा में चल पड़ते हैं|

ऐसे में ख़बर आई है कि आई.आई.टी-खड़गपुर जो आज तक देश के जाने-माने इंजीनियरिंग कॉलेजेस में गिना जाता है, अब एम.बी.बी.एस. का कॉलेज भी अपने कैंपस में खोलने वाला है! है ना यह ख़ुशख़बरी?

तीन एकड़ के एक प्लॉट पर 400-बेड वाला एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल 2017 के अंत तक खोला जाएगा जिस में मेडिसिन के कोर्स भी पढ़ाये जायेंगे| सरकार की तरफ से 230 करोड़ रूपए पहले ही अनुदान में मिल चुके हैं|

इसके तीन फ़ायदे हैं:

१)  एक बहुत ही अच्छा और आवश्यक अस्पताल खुल जाएगा जहाँ लोगों को चिकित्सा की बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध होंगी!

२)  बहुत से छात्रों को डॉक्टर बनने के मौक़ा मिलेगा! जितनी ज़्यादा सीटें, उतने ही ज़्यादा मौके अपने सपने सच कर पाने के|

३)  चूंकि यह आई.आई.टी द्वारा संचालित होगा, हम यह मान के संतुष्ट हो सकते हैं कि वहां से निकलने वाले डॉक्टरों की गुणवत्ता विश्व-स्तर की होगी!

समय की मांग है कि सरकार और प्राइवेट इंस्टिट्यूट आपस में मिलके ज़्यादा से ज़्यादा उच्च शिक्षा के माध्यम बच्चों को उपलब्ध कराएँ| इतना ही नहीं, जो डॉक्टर बन के निकलें उन्हें देश में ही अच्छे रोज़गार के अवसर भी प्रदान करें ताकि उन्हें देश छोड़ के बाहर ना जाना पड़े, अपने सुनहरे भविष्य के लिए!

तो अब इंजीनियरिंग कॉलेज में डॉक्टरी होगी, क्या पता कल मेडिकल कॉलेज से इंजीनियर्स पैदा हों!