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45 तबादलों वाले IAS अफसर, जिनसे डरते हैं देश के राजनेता!

ashok-khemka

हम फिल्मों में तो बहुत देखते हैं कि एक इमानदार अफसर किस तरह बुरे नेताओं की और भ्रष्ट लोगों  के चरित्र की धज्जियां उड़ाकर अपनी बात सामने रखने में कामयाब रहता है.

लेकिन वास्तव में बात कुछ और ही होती है.

हम आपका परिचय करवाना चाहेंगे इस देश के असली सिंघम, अशोक खेमका से.

अशोक खेमका (IAS अफसर), बिना फल की चिंता किये कर्म करते गए हैं. उनकी 24 साल की जीवन-यात्रा इस बात की मिसाल रही है, लेकिन राजनीति ने इन्हें भी नहीं बक्शा! अपने 24 साल के करियर में उन्हें 45 बार तबादले का मुह देखना पड़ा. जी हाँ, 45 बार!
अशोक खेमका(IAS अफसर) का इस बुधवार को 45वी बार स्थानांतरण हुआ. उन्हें हरियाणा के ट्रांसपोर्ट विभाग का इन-चार्ज नियुक्त किया गया था. लेकिन हरियाणा के परिवहन मंत्री से काम के मामले में अनबन होने पर हरियाणा सरकार द्वारा अब उनका तबादला आर्कियोलॉजी और म्यूज़ियम विभाग में कर दिया गया है.

आपकी जानकारी के लिए बताए देता हूँ कि अशोक खेमका वे व्यक्ति हैं जिन्होंने सोनिया गाँधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और DLF के बीच हुए ज़मीनी सौदे को बेनकाब किया था और यह भी एक बात है कि उन्होंने ऐसा, कांग्रेस के शासन काल के दौरान किया था. इसीसे उनकी हिम्मत का पता चल जाता है.  रोबर्ट वाड्रा, खेमका की ही बदौलत भ्रष्टाचार के मामले में आज तक फंसे हुए हैं.

रोबर्ट वाड्रा के इस मामले में भाजपा ने खेमका की खूब सराहना की थी लेकिन बुधवार के दिन भाजपा की सरकार ने ही उनका तबादला कर दिया! अब इसे आप राजनीति का नाम दीजिये या फिर समय की मार.

मेरा सवाल है कि क्या ऐसे ईमानदार अफसरों की बड़े-बड़े नेताओं की पोल खोलने के और अवसर नहीं मिलने चाहिए?

जब हरियाणा सरकार से खेमका के तबादले का कारण पूछा गया तो अपने माथे का पसीना पोंछते हुए हरियाणा सरकार ने जवाब दिया, “यह एक सामान्य तबादला था, उसी दिन हमने 8 और अफसरों का तबादला भी किया”.

हाल ही में कर्नाटक में हुई IAS अफसर डी के रवि की मौत और अशोक खेमका का 45वा तबादला यह साबित करता है कि राजनैतिक ताकतें नहीं चाहती कि ऐसे ईमानदार अफसर उनके अनैतिक कर्मों पर रोक लगाएं.

मोदी जी ने तो खूब दहाड़ा था कि अच्छे दिन आने वाले हैं लेकिन यह सब उनके राज में देखकर इस देश का कोई भी नागरिक यही कहेगा कि काहे के अच्छे दिन? इसी वजह से भाजपा की प्रतिष्ठा पर भी बहुत सारे सवाल उठे हैं. अब मसला यह है कि इन सवालों का जवाब कौन देना चाहेगा? नरेन्द्र मोदीजी या फिर हरियाणा सरकार?

अशोक खेमका भी स्वयं इस तबादले से नाखुश नज़र आए. उन्होंने ट्विटर पर लोगों से कहा कि वे इस तबादले से बेहद नाखुश हैं.

क्या इस देश में अनंत तक ऐसा ही चलता रहेगा? क्या इसमें कोई बदलाव नहीं होना है?

एक देश की ताकत उसके युवा होते हैं और मेरा ख्याल है कि ऐसे मामलों पर युवाओं को बेझिजक आवाज़ उठानी चाहिए और अपनी बात सामने रखनी चाहिए, क्योंकि इसी तरह सभी लोग ऐसी चीज़ों से आगाह हो सकेंगे.