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हाइड्रोजन बम और परमाणु बम में क्या होता है अंतर?

हाइड्रोजन बम और परमाणु बम – अमेरिका और जापान के बीच हुए युद्ध में वो दिल दहला देने वाला मंजर भला कौन भुला सकता है जब अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम से हमला कर दिया था और जापान तहस-नहस हो गया था।

उस बम का असर जापान में अब तक है और आज भी हिरोशिमा में महामारी जैसे हालात हैं।

परमाणु बम के उस हमले में कम से कम 2 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। लेकिन हाल ही में नॉर्थ कोरिया ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया जब उसने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया। नॉर्थ कोरिया के इस परीक्षण के बाद ये बहस छिड़ गई है कि क्या हाइड्रोजन बम परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक है। परमाणु बम और हाइड्रोजन बम में आखिर कौन ज्यादा घातक सिद्ध हो सकता है और दोनों में क्या अंतर है।

तो आइए जानते हैं कि हाइड्रोजन बम और परमाणु बम में क्या है अंतर।

परमाणु बम:

परमाणु बम को फिशन बम के नाम से भी जाना जाता है। इस बम में फिशन की प्रक्रिया होती है। दावा किया जाता है कि एक हजार किलोग्राम से बड़ा परमाणु बम इतनी ऊर्जा पैदा कर सकता है जितना कि कई अरब किलोग्राम विस्फोटक भी नहीं कर सकते। परमाणु बम को महाविनाशक माना जाता है। दूसरे विश्व युद्ध में इस्तेमाल हुए परमाणु बम में सबसे शक्तिशाली विस्फोटक ब्लॉकबस्टर का इस्तेमाल किया गया था। इसे बनाने में लगभग 11 टन ट्राईनाइट्रीटोलीन का इस्तेमाल किया गया था।

सबसे पहले किस देश ने किया परीक्षण:

परमाणु बम का सबसे पहले परीक्षण 16 जुलाई, 1945 को किया गया था। संयुक्त राज्य की सेना ने न्यू मैक्सिको के जर्नाडा मयरेटो के रेगिस्तान में इस बम का परीक्षण किया था।

हाइड्रोजन बम:

हाइड्रोजन हम को थर्मोन्यूक्लियर बम भी कहा जाता है। इस फ्यूजन बम को विकिरण कंटेनर में रखा जाता है। इसे हाइड्रोजन के आइसोटोप ट्रिटियम या ड्यूचिटिरम के साथ रखा जाता है। हाइड्रोजन बम को परमाणु बम का ही प्रकार माना जाता है। विशेज्ञक्षों की मानें तो हाइड्रोजन बम परमाणु बम से 1,000 गुना ज्यादा शक्तिशाली साबित हो सकता है।

सबसे पहले किन देशों ने किया परीक्षण:

हाइड्रोजन बम का परीक्षण कई देश कर चुके हैं। इन देशों में अमेरिका, रूस चीन, फ्रांस शामिल हैं। अब हाल ही में नॉर्थ कोरिया ने भी हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण कर लिया है।

ये है हाइड्रोजन बम और परमाणु बम का फर्क – दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले महात्मा गांधी ने कहा था कि ”अहिंसा परमो धर्मः”। अर्थात दुनिया में हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए और हर किसी को प्यार से रहना चाहिए। लेकिन आज ज्यादातर देश हथियारों का जखीरा इकट्ठा कर रहे हैं और दूसरे को संदेश दे रहे हैं कि अगर हमारी तरफ आंख उठाई तो आपको अंजाम भुगतना पड़ सकता है। हम तो यही कहेंगे कि दुनिया में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

Manoj Shukla

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Manoj Shukla

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