ENG | HINDI

जब बिना आदेश के ही सैनिकों ने सैकड़ों को मारा, रेप के बाद ही मिली औरतों को मौत

रवांडा नरसहांर

13 अप्रैल, 1994 की सुबह को सैनिकों ने एक नरसंहार किया था जिसके बारे में कम ही बात की जाती है। वो था रवांडा नरसहांर !

रवांडा के एक चर्च में सैनिकों ने घुसकर प्रार्थना कर रहे लोगों का नरसंहार कर दिया था। एक चर्च के बंद दरवाज़े को तोड़कर सैनिक अंदर घुसे और प्रार्थना कर रहे सभी लोगों को बिना सूचना दिए हैंडग्रेनेड फेंक दिया। इसके बाद मशीनगन से दनादन फायरिंग करने लगे। जैसे-जैसे भीड़ कम हो रही थी सैनिक बंदूकें छोड़कर चाकू और चापड़ से लोगों को काट रहे थे।

अगले दिन सूरज के उगने तक लगभग 1200 लोग मारे जा चुके थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस रवांडा नरसहांर में मारे जाने वाले लोगों में से ज्‍यादातर बच्‍चे ही थे।

रवांडा नरसहांर –

रवांडा नरसहांर में आने वाले सौ दिनों में 10 लाख लोग मारे गए थे।

इसक मतलब है कि हर रोज़ 10 हज़ार लोगों को सैनिकों ने मार दिया था। मारने वालों में सिर्फ रवांडा के सैनिक ही थे बल्कि इस काम में में वहां के हुतू समुदाय के लोग भी थे और मरने वालों मे ज्‍यादातर तूत्‍सी समुदाय के लोग थे। इन दोनों समुदायों के लोग एकसाथ पढ़ते थे, खेलते थे, साथ काम करते थे। सबसे दरिंदगी बात तो ये थी कि मारते समय इस बात का खास ख्‍याल रखा गया कि औरतों का रेप जरूर हो। किसी लड़ाई में रेप का हथियार की तरह इस्‍तेमाल का सबसे बड़ा उदाहरण यहां मिला।

1990 में अफ्रीकी महाद्वीप का छोटा सा देश रवांडा खेती का काम किया करता था। यहां की 85 प्रतिशत जनसंख्‍या हंतू थी। बाकी के लोग तूत्‍सी के थे। रवांडा यूरोपियन देश बेल्जियम कॉलोनियल साम्राज्‍य का एक हिस्‍सा हुआ करता था। कॉलोनियल देशों की परंपरा के अनुसार दोनों समुदायों को बांटकर रखा जाता था। बेल्जियम तूत्‍सी को सपोर्ट करते थे और तूत्‍सी समुदाय के लोग हुतू के लोगों पर अत्‍याचार करते थे।

कुछ समय बाद दोनों समुदायों के बीच खूब हमले हुए।

6 अप्रैल 1994 को एक हादसा हुआ जिसने नाराज़गी को कत्‍ले आम में बदल किया।

एक हमले में हेबरीमाना और बुरुंडी के प्रेजिडेंट का प्‍लेन उड़ा दिया गया। इस हमले में कोई नहीं बचा लेकिन ये पता नहीं चल पाया कि इसे तूत्‍सी ने करवाया था या हुतू ने। प्‍लेन क्रैश के एक घंटे के अंदर सैनिकों ने हुतू समुदाय के लोगों के साथ मिलकर चारों तरफ दंगे करने शुरु कर दिए और तूत्‍सी लोगों को मारने लगे। इसके बाद उसी किगाली में पहला बड़ा हमला हुआ जहां पर प्रेजिडेंट प्‍लेन को उड़ाया गया था। ये वही चर्च वाला हमला था। इसके बाद सरकारी रेडियो स्‍टेशनों पर अफसर आदेश देने लगे कि अपने पड़ोसियों को भी मारना शुरु करिए। इसके बाद आने वाले सौ दिनों में दस लाख लोग मारे गए। औरतों का रेप हुआ तो किसी को सेक्‍स स्‍लेव बना लिया गया। हालांकि तूत्‍सी रिफ्यूजियों की सेना ने कंट्रोल हासिल किया लेकिन उनके इरादे ठीक नहीं थे। 20 लाख हुतू लोगों को रवांडा छोड़कर भागना पड़ा और ये लोग कांगो में जाकर छिपे।

ये था रवांडा नरसहांर – कुछ इस तरह सैनिकों ने दो गुटों के बीच के मतभेद का फायदा उठाया और बेसहारा लोगों पर अत्‍याचार किया और इस चक्‍कर में सबसे ज्‍यादा यातनाएं महिलाओं और बच्‍चों को सहनी पड़ी।