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क्या आप जानते है कि WhatsApp आपको हार्ट अटैक दे सकता है? पढ़िए कैसे?

whatsapp

कभी कभी मुझे लगता है की पुराना ज़माना काफी सुकून से भरा हुआ था.

Technology नहीं थी. लोग या तो खेत खलिहान में काम करते थे या तो दाल चावल और तेल बेचते थे.

डॉक्टर और इंजीनियर बनना बड़ी बातें हुआ करती थी.

आज के तनावपूर्ण Technological जीवन से चैन और सुकून ऐसे गायब हो चूका है जैसे गधे के सर से सींघ. जीवन के रथ को चलाने के लिए काफी भागदौड़ और गुथमगुथ्थी करनी पड़ती है, जो हमेशा सेहत के लिए हानिकारक होती है.

रात में लेट सोकर में सुबह दफ्तर जाने के लिए जल्दी उठा. नहा धोकर मैंने सोचा पूजापाठ पहले कर लूं. इसलिए घर में रखे भगवान् की मूर्ति की ओर बढ़ा और अगरबती हाथ में ली तब मंदिर का घंटा (आप इसे ‘घंटी’ पढ़ लीजियेगा क्योंकि मुझे ‘घंटा’ लिखने में मज़ा आता है.)  बजा.

अरे नहीं… ये घर के नीचे के मंदिर का घंटा नहीं है.

ये तो मेरे WhatsApp नोटिफिकेशन का रिंग टोन है.

जैसी ही मैंने माचिस उठाई एक और घंटा बजा. इसलिए माचिस को छोड़ WhatsApp देखा तो मन और भक्तिमय हो गया. बड़ा ही प्रेरक सुविचार एक दोस्त ने भेजा है. दूसरों की ख़ुशी में ही हमारी ख़ुशी छुपी हुई है. अपने लिए तो हर कोई जीता है, औरों के लिए जीने का मज़ा ही कुछ और होता है. ऐसा लगा बस आज से इस बात को फॉलो करूँगा और जब भी मौका मिला थोड़ासा किसी और के लिए भी जीने की कोशिश करूंगा.

माचिस से तीली निकालकर जला ही रहा था की एक और नोटिफिकेशन आया. मैसेज देखा, देशभक्ति से भरा एक वीडियो गीत सुनाई पड़ा. इस वीडियो ने एक ही साथ महात्मा गांधी, सरदार पटेल, लोकमान्य तिलक, और शहीद भगत सिंग की याद दिला दी. दिलो दिमाग में देशभक्ति ठांठे मारने लगी.  मानो की मेरी सुबह सच में देशभक्ति की शक्ति से भरी लग रही हो.

तीली जलाई और अगरबत्ती उठाने लगा तब फिर एक घंटी बजी. देखा तो किसीने बेहद नॉन व्हेज चुटकुला ग्रुप में डाला है, पढ़कर मज़ा ज़रूर आया मगर प्रेरक सुविचार और देशभक्ति हवा हो गयी  और  श्रद्धा भाग गई. (अरे भाई ! मैं अपनी बीवी श्रद्धा कि बात नहीं कर रहा…!)

नॉनवेज चुटकुले की वजह से मन थोड़ा uneasy हो गया.

अपने आप को संभालते-संभालते फिर से माचिस की तीली निकाली… लेकिन फिर…

ये क्या हो रहा है भाई? ये WhatsApp मुझे पूजा करने देगा कि नहीं?

मैसेज में – कहानी उस पति कि थी, जिसकी बीवी उसे छोड़कर भाग गयी थी क्यों कि वह उसे बहोत डांटता था.

उस पति  के दुखड़ों ने मेरे अंदर एक दर सा पैदा कर दिया. ऐसा लगा कि मेरा BP ऊपर नीचे हो रहा था

कहीं मेरी बीवी श्रद्धा भाग तो नहीं जायेगी? क्यों कि मैं भी कभी-कभी उसे डांटता हूँ.  मन ने कहा… नहीं, नहीं पगले, ऐसा कभी नहीं हो सकता. हालांकि मैं उसे उतना नहीं डांटता जितना वो पति डांटता था. और मेरी बीवी श्रद्धा बहोत अच्छी है.  फिर भी प्रिकॉशन लेना ज़रूरी है. आजसे डांटना बंद !!! और प्यार से पेश आना शुरू !

फिर से अगरबती जलाने की कोशिश करू उससे पहले  ही फिर से घंटा (प्लीज ‘घंटी’ पढियेगा ) बजा.

अब साईबाबा थे. लिखा था ये मैसेज अगर १० लोगों को भेज दिया तो नए प्रेम प्रसंग बन सकते हैं. और अगर नहीं भेजा तो तुम्हारा प्रिय पात्र तुमसे रूठ सकता है.  इस मैसेज में एक साथ में दो चीज़ें थी, सुख और दुःख… एक BP बढ़ाता है तो दूसरा कम करता है ! अगर भेज दूँ तो शायद भक्ति (अरे भाई, भक्ति मेरी ऑफिस में काम करती है और मुझे बहोत अच्छी लगती है… समझा करो यार ! ) पट सकती है. और अगर नहीं भेजूं तो श्रद्धा, मेरी बीवी, जो भाग सकती है. सोचने कि जरूरत नहीं है. १० लोगों को भेजना ही अकलमंदी है.

भक्ति (ऑफिस वाली) के बारे में सोचते सोचते धड़कन थोड़ी तेज़ हो गयी. मैंने नैपकिन से चेहरे का पसीना पौंछ ही रहा था कि फिरसे…

सोचा कि ना देखूं… मगर ऐसा कर नहीं पाया क्योंकि ऑफिस का मैसेज महत्वपूर्ण होता है. उसकी उपेक्षा नहीं कर सकते.

मोबाइल उठा के देखा तो चीखने का मन हुआ – “आत्ता माझी सटकली…”

दिमाग का – ‘दहीं वडा’ करनेवाला क्विज़ था…

गुस्से में दांत दबाये – ये पक्का हो गया कि मोबाइल स्विच ऑफ किये बिना पूजा नहीं हो सकती | लेकिन स्वीच ऑफ बटन पर उंगली दबाऊ उससे पहले घंटा फिरसे चीखा —

देखा तो आँखे फटी कि फटी रह गयी. सनी लेओनी का नॉनवेज वीडियो था इसलिए देखे बिना भी नहीं रह पाया. लेकिन दो मिनट के वीडियो मेरी बॉडी के अंदर अजीब से रसायन पैदा करने लगा – एक ‘केमिकल लोचे’ ने जन्म लिया और मैं भक्ति और श्रद्धा दोनों को भूल गया… आँखें बंद की तो आँखों मेंं सनी लेओनी बिराजमान हो गयी.

लेकिन मेरी ऐसी किस्मत ही कहाँ के वह हसीना ज़्यादा देर तक मेरी आँखों में बिराजमान रहे…  इस टाइम घंटा नहीं था – घंटी थी… फ़ोन की इस घंटी ने मेरी तंद्रा को तोड़ दिया.

वो बॉस का कॉल था.

फ़ोन उठाने को जी नहीं चाहा क्योंकि सुबह सुबह में बॉस का फ़ोन मनहूस खबर लेके आता है. लेकिन मजबूरी थी. पापी पेट का सवाल था. फ़ोन उठाना ही था. बटन दबाके उठाया तो वाकई में खबर मनहूस निकली. सिस्टम क्रैश हो चुकी थी. बॉस ने १५ मिनट में ऑफिस पहुंचने का फरमान जारी कर दिया.

अब ये बात बॉस को कौन समजाये कि  मैं अगर हेलीकाप्टर चार्टर करू तो भी १५ मिनट में ऑफिस नहीं पहुँच सकता.

माफ़ करना भगवान आज तेरे नसीब में मेरी पूजा नहीं है. अगरबती को वापस रखा और हड़बड़ाहट में तैयार हुआ.

नीचे उतरकर २५ किक के बाद स्कूटर चालु किया.

ट्रैफिक का जाम, लोगो का शोर, दफ्तर की टेंशन, और उसमे WhatsApp नोटिफिकेशन के गहरे असर के कारण  मेरा BP नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे छलांगे मारने लगा.

और…

अचानक रास्ते पर स्कूटर चलाते चलाते आँखों के सामने अँधेरा सा छाने लगा.

एक्सीडेंट हो उससे पहले स्कूटर को साइड में ले लिया. कुछ पलों तक रुके हुए स्कूटर पर आँखें बंद करके बैठा रहा. आँखों के सामने छाया अँधेरा हट गया और मैं थोड़ा ठीक महसूस करने लगा. शायद मेरा BP low हो गया था. करीब ही एक गन्ने के रास वाला था. दो गिलास ठन्डे रस ने मुझे नार्मल कर दिया.

और मैं फिर से ज़िन्दगी की रफ़्तार में शामिल हो गया.

फिर ऑफिस के टेंशन में इतना busy हो गया की पर्सनल टेंशन हवा हो गया.

जीवन की इस आपा धापी में  एक बात हम सबको जानना बहुत ज़रूरी है…

माना कि आज Technology  हमारे जीवन पर हावी हो चुकी है और Technology के बिना हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकते. मगर हद से ज्यादा इस्तेमाल हमारी सेहत और हमारे जीवन दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है.

इसलिए Technology  का इस्तेमाल उतना ही कीजिये जितनी ज़रुरत है.

आप का क्या ख़याल है? हमें बताइये.