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हैंड राइटिंग सुधारने में बचपन बीत गया और अब काम की-बोर्ड पर करना पड़ रहा है !

हैंड राइटिंग

इस दुनिया का दस्तूर बहोत निराला है.

यहाँ कब क्या कैसे करना पड़ सकता है, कोई नहीं जानता और.. नाही कोई जान पाएगा.

हम सोचते कुछ और है, होता कुछ और है और चाहते कुछ और है.

चलिए बातों को ज्यादा ना भटकाते हुए सीधे मुद्दे पर आते है.

हैंड राइटिंग

आप सभी जानते है कि बचपन में हमारी हैंड राइटिंग को बहोत महत्व दिया जाता था. जिसकी जितनी अच्छी राइटिंग, क्लास में वो उतना अच्छा विद्यार्थी माना जाता था. सुंदर राइटिंग पर मार्क्स भी एक्स्ट्रा मिलते थे. अच्छी राइटिंग वाले बच्चे को सभी टीचर्स पसंद भी करते थे और लिखावट से जुड़े कई काम भी करवाते थे.

हम पढ़ाई में कितने भी होशियार क्यों ना हो ! राइटिंग अच्छी नहीं है तो कमज़ोर ही माने जाते थे.

कई बार तो हमारे मम्मी-पापा ये तक कह देते थे – “शर्मा जी के बच्चे की हैंड राइटिंग देखी आपने… कितना सुंदर लिखता है… और एक हमारा बच्चा है जो चिड़िया की टांग जैसा लिखता है…’’

अपने माता-पिता के इस दुत्कार को आपने झेला होगा या नही, ये तो मै नही जानता लेकिन मैंने अपनी भद्दी हैंड राइटिंग के बारे में बहोत डांटे और ताने सुने है.

मै तो इतना तंग आ गया था कि मैंने हैंड राइटिंग सुधारने की ही ठान ली और… सीधे हैंड राइटिंग सुधारने का एक साल का कोर्स कर बैठा.

कॉलेज लाइफ तक आते आते हैंड राइटिंग भी सुधर गई और लोगो की वाह वाही भी मिलने लगी. अच्छी हैंड राइटिंग में मैंने कई पुरूस्कार भी हासिल किए.

अब आपसे क्या छुपाना !

लेकिन कई आशिको के लिए मैंने लव लेटर भी लिखे है. चुकिं मेरी हैंड राइटिंग सुन्दर हो चुकी थी, इसलिए उन आशिको को लडकियां आसानी से पट भी गई.

पर… आज की सच्चाई ये है कि… बचपन तो हैंड राइटिंग सुधारने में बीत गया पर काम की-बोर्ड पर करना पड़ रहा है

आज की दुनिया में आपकी सुंदर हैंड राइटिंग से किसी को कोई लेना देना नहीं है. आप कितना भी सुंदर क्यों ना लिखते हो, आपके बॉस को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

ये दुनिया इतनी मॉडर्न और फास्ट हो गई है कि सारे काम अब कंप्यूटर पर होने लगे है. यहाँ तक कि आपकी लिखावट भी.

फर्क बस इतना है कि कम्यूटर पर आपके लिखावट की सुन्दरता नहीं बल्कि लिखावट की स्पीड चलती है. यहाँ अच्छी लिखावट नहीं बल्कि होशियारी की ज़रूरत है.

इस मॉडर्न दुनिया में तो बच्चे भी कंप्यूटर पर पढ़ते है और टीचर भी कंप्यूटर पर पढ़ाते है.

इसलिए मै कहता हूँ कि आगे चलकर कब क्या कैसे करना पड़े, ये कोई नहीं जानता !

कल को ये भी हो सकता है… कंप्यूटर जाए और कुछ और आ जाए !

जय हो अत्याधुनिक जीवन की…