ENG | HINDI

हमारा देश आख़िर चल कैसे रहा है? जादू की छड़ी हमें भी तो दिखाओ!!

indian-audience

छत्तीसगढ़ में माओवादी…

बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठिये…

कश्मीर में आतंकवादी…

तो लदाख में चीन की सेना का आना-जाना…

यह तो सिर्फ एक तरह की मुसीबतें हैं| इनके अलावा आये दिन हिन्दू-मुस्लिम झगडे, हर राज्य में भाषा को लेकर विवाद, शहरों में गाँव से आये लोगों को लेकर परेशानियां और और ऐसी तकलीफ़ों की सूची कभी ख़त्म नहीं होगी|

हो क्या रहा है आख़िर हमारे देश में?

है कोई जवाब?

सच तो यह है कि जाने कैसे हम सब चले जा रहे हैं| कोई एक रास्ता सही नहीं और कोई एक रास्ता गलत भी नहीं| कहीं नेताओं ने गंद फैला रखा है तो कहीं हम खुद ही अपने आप के दुश्मन बने बैठे हैं| जिन लोगों के साथ हम काम करते हैं, उन्हीं की पीठ पीछे बुराई करते थकते नहीं| उनके खाने पीने से लेकर उनके जाती-धर्म तक को चीर-फाड़ देते हैं लेकिन कुछ करते नहीं क्योंकि उनसे हमारा आर्थिक फायदा जो होता है!

अनेक भाषाएँ, अलग-अलग रहन-सहन के तरीके, अलग धर्म और जाने किन-किन चीज़ों ने हमें बाँट रखा है| ऊपर से हर राज्य में या तो किसान जान दे रहा है या कोई आतंकवादी जान ले रहा है| कुछ बच गया तो सूखा-बाढ़ वगेरह उसे भी ख़त्म कर डालते हैं! इन सबके बीच प्रशासन अधिकतर समय यूँ सोया पाया जाता है मानो वो समाज का हिस्सा है ही नहीं!

इस सबके बावजूद सुनने में आता है कि हमारा देश प्रगति कर रहा है, हम आगे बढ़ रहे हैं, जल्द ही हम एक खुशहाल देश के नागरिक होंगे! जो हालात हैं उनसे तो यही लगता है कि यह कोई जादू ही है जो अभी तक हमने एक दुसरे को नोंच-खसोट नहीं लिया! या बाहर से आके कोई हमें अभी तक खा नहीं गया!

सौ बात की एक बात दोस्तों, जादू यही है कि हम सब भूखे हैं और हमारी ढेर सारा पैसा कमाने और एक शांतिपूर्ण जीवन जीने की लालसा अभी तक मरी नहीं! इसीलिए हर मतभेद को भुला आम आदमी, यानि कि हम और आप, सिर्फ रोटी-रोज़ी कमाने में लगे हैं| सच कहें तो देश सिर्फ आपकी और हमारी बदौलत चल रहा है, वरना नेताओं के हाथ में होता तो कब का ये लोग देश बेच के खा गए होते!

india-rocks

आईये कोशिश करें कि सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि देश के लिए कमाएं, सिर्फ अपने घर को खुशहाल नहीं, पूरे देश को बेहतर घर बनाने के लिए कोशिश करें!

इतना तो हम कर ही सकते हैं, दोस्तों, है ना?