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हमारी भारत माता का जन्म कैसे हुआ? आर्य और द्रविड़ का एक आखिरी सच!

भारत माता का जन्म कैसे हुआ?

या फिर आपसे पूछा जाए कि भारत का प्राचीन इतिहास क्या है?  तो इसके जवाब में आज का युवा निश्चित रूप से अजीब सा मुंह बनाने लगता है.

तो आज हम आपको बताने वाले हैं कि आखिर हमारी भारत माता का जन्म कैसे हुआ है.

तो आइये पढ़ते हैं भारत माता का जन्म और उनकी पूरी कहानी –

असल में आर्य और द्रविड़ नहीं बल्कि गौण और द्रविड़ भारत में थे

भारत के लोगों को प्राचीन समय में दो नस्लों में विभाजित किया गया है.

उत्तर भारत के लोगों को आर्य बोल दिया गया है और दक्षिण के लोगों को द्रविड़ बोल दिया गया है.

वहीं कुछ लेखकों ने लिखा है कि भारत माता के पुत्रों का नाम गौण और द्रविड़ था ना कि आर्य और द्रविड़ था. इस बात की पुष्टि लेखक सुरेन्द्र सिंह बिष्ट करते हुए लिखते हैं कि

“महर्षि दयानंद ने अपने सन्यास दीक्षा गुरु को निरुत्तर किया था. वह वचन वायु पुराण में भी है और कल्हण के द्वारा कश्मीर के इतिहास पर लिखित ग्रन्थ “राज तरंगिणी ” में भी है-

कर्णाटकाश्च तैलंगा द्राविडा महाराष्ट्रका: ,
गुर्जराश्चैति पञ्चैव द्राविडा विंध्यदक्षिणे ।
सारस्वता: कन्याकुब्जा गौड़ा उत्कलमैथिला: ,
पञ्चगौड़ा इति ख्याता विंध्यस्योत्तरवासिन: ।।

अर्थात विन्ध्य पर्वत के दक्षिण में जो ब्राहमण रहते हैं वे द्रविड़ कहलाते हैं और विन्ध्य पर्वत के उत्तर में जो ब्राहमण रहते हैं वे गौड़ कहलाते हैं. दोनों के पांच- पांच भेद हैं. गुर्जर, महाराष्ट्र , तैलंग, कर्णाटक और द्रविड़ ये द्रविड़ ब्राहमणों के पांच भेद हैं और सारस्वत, कान्यकुब्ज , मैथिली, गौड़ और उत्कल ये गौड़ ब्राहमणों के पांच भेद हैं.

इस शास्त्र वचन में कहीं आर्य शब्द नहीं है और भौगोलिक आधार पर गौड़–द्रविड़ भेद बताया है. यह अंग्रेजों का प्रचारित असत्य भी इस वचन से ध्वस्त होता है कि ब्राहमण आर्य हैं और अन्य जातियां द्रविड़ हैं. इसमें गौड़ और द्रविड़ दोनों ही ब्राहमणों के भेद बताये हैं. ज़ैसे यह गौड़ – द्रविड़ भेद बताने वाला वचन और उस वचन को पुष्ट करने वाले अन्य प्रमाण उपलब्ध हैं. वैसे ही भारत के हजारों प्राचीन ग्रंथों में कहीं भी आर्य – द्रविड़ भेद बताने वाला एक भी वचन नहीं है.”

सिन्धु घाटी सभ्यता की कुछ बातें-

भारत की सभ्यता विश्व की प्राचीन सभ्यता रही है.

कई रिसर्च बता चुकी हैं कि यह सभ्यता कुछ 8000 साल से भी पुरानी रही है.

अगर इसके प्रसार की बात करें तो इसका प्रसार बोला जाता है कि मिस्र तक था. तो क्या इनको देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि तब मिस्र तक सिन्धु घाटी सभ्यता या हिन्द की सभ्यता ही थी! एक समय में भारत को हिन्दुस्थान या हिन्द प्रदेश कहते थे.

इसके बाद कुछ लेखक लिखते हैं कि कोई डेढ़ करोड़ साल पहले पूर्वी अफ्रीका, आज का सौदी, मेडागास्कर, ऑस्ट्रेलिया, फिजी और दक्षिणी भारत के भूखंड एक साथ जुड़े हुए थे. बाद में मानव समूह कुछ तो अफ्रीका के दक्षिणी सिरे की तरफ चले गये, कुछ उत्तर में अफ्रीका की तरफ और कुछ पूरब की तरफ और उन्होंने अपनी आबादी यहाँ बसाई. अफ्रीका में रहने वाली प्रजातियाँ जंगली बनी रहीं, उतर में जाने वाली जातियों के अत्यंत ठन्डे वातावरण का आदि होना पड़ा था. लेकिन भारत की सभ्यता शुरुआत से ही काफी अनुशासित रही है. यहाँ की सभ्यता में विज्ञान भी था और धर्म भी. इसीलिए लोग यहाँ काफी कुछ सीखने आते थे.

भारत में सिन्धु घाटी सभ्यता थी और विश्व की यही एक सभ्यता ऐसी है जो परिवर्तित तो हुई है किन्तु बर्बाद नहीं हुई है और इसका नामोनिशान आज तक मौजूद हैं.

आज का हिन्दुस्तान सिन्धु सभ्यता का ही विस्तार है.

भारत माता का जन्म – अंग्रेजों का सबसे बड़ा झूठ

अंग्रेज लिखते हैं कि भारत के लोग दो वर्गों में विभाजित हैं. एक वर्ग है द्रविड़ और दूसरा आर्य है. आर्य लोग भारतीय नहीं हैं. आर्य लोग विदेश से आये और इन्होनें द्रविड़ लोगों से युद्ध किया और तब द्रविड़ लोग हारकर दक्षिण में चले गये.

इस बात की सत्यता केवल अंग्रेजी किताबों से नहीं जाँची जा सकती है. अगर आर्य बाहर से आये थे तो इसका जिक्र वेदों में और शास्त्रों में क्यों नहीं है. इस तरह से भारत माता का इतिहास कहता है कि आर्य बाहर के लोग नहीं हैं. अंग्रेजों ने भारत माता के प्रति ऐसा इसलिए लिखा है कि ताकि यह साबित हो सके कि भारत में भारत के लोग ही नहीं है. हिन्दुस्तान-हिन्दुओं का नहीं है. यहाँ तो सब भटकते हुए आये थे- अंग्रेज आये, मुग़ल आये, तुर्क आये और फिर अफगानी आये. इस तरह से भटकते लोगों का इतिहास भारत माता है.

भारत माता का जन्म – सत्य यह है जो आखिरी है

आखरी सत्य यह है कि सिन्धु घाटी सभ्यता बची है तो इसीलिए बची है क्योकि भारत माता के बच्चे भारत में जिन्दा है.

महाभारत, विष्णुपुराण और लिंग पुराण बताते हैं कि भारत का नाम ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर भारतवर्ष पड़ा है. वायुपुराण बताता है कि इससे पहले भारत का नाम हिमवर्ष था. यहीं से भारत माता के इतिहास को समझा जा सकता है.

भारतमाता के जन्म की कथा के लिए आप पुराण साहित्य को पढ़िए और यहाँ भरत के तीन जन्मों के बारें में सबकुछ बताया गया है.

आप विष्णुपुराण को पढ़िए तो यहाँ भारत माता के जन्म के बारें में बताया है कि जो समुद्र के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में है वह ही तो भारती है.

तो वैसे थोड़े में बताया जाये तो भारत माता का जन्म तभी हुआ है, जब सृष्टि का जन्म हुआ है.

आप मानव जाति का कोई भी इतिहास उठा लीजिये, आपको भारत माता का वजूद वहां मिल जायेगा, बस नामों में भिन्नता जरूर मिल सकती है.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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