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कैसे और कहाँ हुई थी राम-हनुमान की मुलाकात ! कभी वानरों का होता था यहाँ राज!

राम-हनुमान की मुलाकात

आज अगर आप भारत के मैप पर किष्किन्धा नाम की जगह खोजने का काम करेंगे तो आपको यहाँ कुछ भी नजर नहीं आयेगा.

यह भारत का दुर्भाग्य ही है कि आज हमारे नक़्शे से इतनी महत्वपूर्ण जगह गायब है. उससे भी ज्यादा दुःख की खबर यह है कि हिन्दू लोग इस जगह के सही महत्त्व को नहीं जानते हैं, जहाँ राम और हनुमान जी का मिलन हुआ था.

अगर हनुमान जी के जन्म की जगह पूछी जाए तो लोग एक दूसरे का मुंह ताकने लगते हैं या फिर महाराष्ट्र पर ऊँगली रख देते हैं.

आज हम आपको इन्हीं दोनों जगहों का सही ज्ञान कराने वाले हैं.

कर्नाटक के अन्दर दो जिले हैं कोप्पर और बेल्लारी. जब सीता जी को राम और लक्ष्मण खोज रहे थे, तब की काफी रामायण इसी भाग से है.

उस समय इसका नाम किष्किन्धा था किन्तु बाद में यह नाम सिर्फ रामायण में ही जीवित रहा.

कहाँ हुई थी राम-हनुमान की मुलाकात

सही जानकारी के मुताबिक कर्नाटक के हंपी नगर में जो बेल्लारी जिले में पढ़ता है, यहाँ पर हनुमान जी की पहली मुलाकात राम जी से हुई थी. यह हंपी नगर हनुमान जी के पिता केसरी राज जी का कभी साम्राज्य हुआ करता था. अगर आप हंपी जाते हैं तो यहाँ की विशालकाय गुफाओं को देखकर यह जरूर लगेगा कि यहाँ विशालकाय लोग रहा करते होंगे. शास्त्रों में इस जगह को वानरों का राज्य भी कहा गया है. यहाँ के पहाड़ बड़े-बड़े पत्थरों से बने हुए हैं. यह पत्थर एक के ऊपर एक रखे हुए हैं और यह नीचे नहीं सरकते हैं.

जब राम माता सीता को खोजते हुए यहाँ पहुंचे थे, तो नगर में घूमते हुए सुन्दर लोगों को देखकर, हनुमान जी ने ब्राह्मण का वेश बनाकर इनकी खोज की थी.

हंपी में एक काफी शक्तिशाली हनुमान मंदिर भी है लेकिन हनुमान भक्त इसके बारे में नहीं जानते हैं. हनुमान जयंती पर यहाँ हर साल बड़ा मेला भी लगता है.

जब अयोध्या लौट रहे थे राम

जब भगवान राम, माता सीता को लेकर वापस अयोध्या लौट रहे थे तो राम जी ने किष्किन्धापूरी के बारे में माता सीता को बताया भी था. इसका विवरण भी रामायण में दर्ज है.

हनुमान जी के जन्म की कथा

हनुमान जी का जन्म कर्नाटक के किष्किन्धा में हुआ था. यहाँ एक अंजना पर्वत भी है जिसके ऊपर विशालकाय मंदिर है. यह मंदिर कुछ 500 पहाड़ी सीढ़ियों को चढ़ने के बाद ही आता है. हनुमान जी के जन्म का प्रमाण तो यहाँ भी नहीं है, लेकिन यह तो निश्चित है कि यहाँ पर हनुमान जन्म के लिए माता अंजनी ने तपस्या जरूर की थी. वैसे यहीं पर माता को हनुमान जन्म का आशीर्वाद मिला था. यहाँ एक प्रतिमा भी है जिसमें हनुमान, माता अंजनी जी की गोद में खेल रहे हैं. यह जगह हनुमान जन्म स्थल इसलिए बोला जाता है क्योकि एक तो यहाँ पर माता अंजनी ने तपस्या कर हनुमान जन्म को निश्चित किया था. दूसरा कि पिता का साम्राज्य भी पास में था और पिता के यहाँ ही बालक हनुमान का जन्म हुआ होगा. इसलिए किष्किन्धा को हनुमान जा जन्म स्थल बताया जाता है.

पास ही में रामायण से जुड़ी कई जगह और भी हैं. शबरी जी का स्थान और पंपा सरोवर के भी दर्शन यहाँ किये जा सकते हैं.

यह पूरा ही राज्य कभी वानरों का हुआ करता था ऐसा कहा जाता है. अगर कोई व्यक्ति कोप्पर-बेल्लारी जाकर किष्किन्धा घूमता है तो यह किसी तीर्थस्थान पर जाकर फल कमाने से कम नहीं माना जाता है.

तो जीवन में एक बार यहाँ जाकर राम और हनुमान जी के आशीर्वाद से रूबरू जरूर हों.