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तो इस तरह दी जाती है बॉलीवुड फिल्‍मों को ग्रेडिंग !

फिल्‍मों को ग्रेडिंग

फिल्‍मों को ग्रेडिंग कैसे दी जाती है – फिल्‍में देखने के शौकीन हैं तो क्‍या आपको पता है कि फिल्‍मों को ग्रेड क्‍यों और कैसे दिया जाता है?

फिल्‍मों को ग्रेडिंग देने का सबसे बड़ा आधार फिल्‍म का बजट और तकनीक होती है। इसके अलावा फिल्‍म में काम कर रहे कलाकारों पर भी इसकी ग्र‍ेडिंग निर्भर करती है। बड़ी बजट की फिल्‍म मतलब बड़े कलाकार और छोटे बजट की फिल्‍म में छोटे कलाकार काम करते हैं। वैसे कम बजट की कई फिल्‍में ऐसी हैं जिन्‍हें ए ग्रेड की कैटेगरी में रखा गया है और कई बड़े कलाकारों ने भी बी ग्रेड की फिल्‍मों में काम किया हुआ है।

ऐसे में आप सोच रहे होंगें कि फिल्‍मों को ग्रेड किस आधार पर दिया जाता है।

फिल्‍मों को ग्रेडिंग कैसे दी जाती है –

ए ग्रेड कैसे मिलता है

जिन फिल्‍मों को बनाने के लिए बेहतर तकनीक और कैमरों का इस्‍तेमाल किया गया हो और जिसका बजट ज्‍यादा हो और जिन्‍हें आप अपने परिवार के साथ बैठकर देख सकते हों, उन्‍हें ए ग्रेड फिल्‍म की कैटेगरी में रखा जाता है। बड़े एक्‍टर्स, महंगे कॉस्‍ट्यूम, बेहतर सैट, म्‍यूजिकल बैकग्राउंड के साथ अच्‍छी स्क्रिप्‍ट भी इसके लिए जरूरी होती है।

बी ग्रेड की फिल्‍में

इस ग्रेड में रखी गई फिल्‍मों की कोई खास स्क्रिप्‍ट नहीं होती बल्कि इनमें फिल्‍म और कहानी के नाम पर सिर्फ अश्‍लीलता परोसी जाती है और इन्‍हें आप अपने परिवार के साथ नहीं देख सकते हैं। बी ग्रेड फिल्‍में बनाने वाले निर्माता देसी शब्‍द पर ज्‍यादा ध्‍यान देते हैं। उन्‍हें ऐसा लगता है कि देसी कहानी, देसी कलाकार  से उन्‍हें ज्‍यादा फायदा मिलेगा। इस तरह की फिल्‍में ज्‍यादातर छोटे शहरों में रिलीज़ होती हैं।

सी ग्रेड की फिल्‍में

सी ग्रेड की फिल्‍मों में काम करने वाले लोगों को कोई नहीं जानता है। इनकी प्रोडक्‍शन वैल्‍यू एकदम निचले स्‍तर की होती है। ये फिल्‍में बी ग्रेड की फिल्‍मों से भी नीचे होती हैं।

अब तो आप जान ही गए होंगें ना कि फिल्‍मों को किस आधार पर फिल्‍मों को ग्रेडिंग दी जाती है और आपको अपनी पसंद के अनुसार किस ग्रेड की फिल्‍म देखनी चाहिए।