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पिता ने बेची अपनी प्रिय चीज़ – ताकि बेटे का सपना पूरा हो सके !

बेटे का सपना

गजब के सपने आते थे उसे रोज़…

सवेरे उठते ही अपने मम्मी पापा से वो अपने सपने के बारे में बताता था.

मम्मी पापा उसकी इस बात से बेहद खुश रहते थे कि वो अपने सपनों का पूरा हिसाब किताब रखता था.

आज का बेटे का सपना बड़ा मासूम था.

सुबह उठते ही उसने अपने पापा से कहा कि ‘’पापा मैंने सपने में देखा कि मेरी बाइक की बैटरी चार्ज हो गई है. अब आज मै अपने दोस्तों को घर बुलाउंगा और बाइक पर बैठाकर सभी को घुमाऊँगा, जैसे धूम पिक्चर में जॉन अब्राहम बाइक में घूमता था’’

इस बार बेटे का सपना मासूम सा था जिसे सुनकर पिता की आँखों में आंसू आगए… जानते है क्यों !

क्योकि पिछले एक हफ्ते से पिता अपने 4 साल के बेटे को धोखा दे रहे है…

इस सच्ची कहानी को पुरी तरह जानने के लिए हमें 1 हफ्ते पीछे जाना होगा.

4 साल का विदीत, सीनियर केजी में पढने वाला एक बच्चा है. विदीत के पिता स्वामीनारायण तिवारी एक प्रायवेट कम्पनी में वाचमैन की नौकरी करते है. पिछले 8 सालो से तिवारी परिवार मुंबई के भांडुप इलाके में किराए पर रहता है.

स्वामीनारायण की सेलेरी इतनी कम है कि घर चलाना मुश्किल होता है, ऐसे में उनके बेटे विदीत की डिमांड वे पुरी नहीं कर पाते.

विदीत पिछले एक हफ्ते से रोज़ अपने पिता से शिकायत कर रहा है कि ‘पापा मेरी बाइक (खिलौना) नहीं चलती, देखो ना उसे क्या हो गया है…’’

और पापा, विदीत से रोज़ कहते है कि ‘’बेटा आपके बाइक की बैटरी खत्म हो गई है, जब बैटरी चार्ज हो जाएगी तब बाइक (खिलौना) अपने आप चलेगी…’’

दरअसल स्वामीनारायण अपने बेटे विदीत से रोज़ झूठ बोलते है कि उनके बच्चे के बाइक की बैटरी चार्ज हो रही है.

आपको जानकर दुःख होगा कि स्वामीनारायण के पास 40 रुपए नहीं थे कि वे अपने बच्चे विदीत की बाइक (खिलौना) का नया बैटरी खरीद सके. लेकिन बेटे विदीत के आज के सपने ने उन्हें कुछ ऐसा करने के लिए मजबूर किया जो वे कभी नहीं करना चाहता थे.

जब बेटे विदीत ने कहा कि वो आज अपनी बाइक पर अपने दोस्तों को घुमाना चाहता है तो पिता के मन ने उसके इस सपने को पूरा करने का संकल्प ठान लिया. स्वामीनारायण ने बाइक (खिलौना) की बैटरी खरीदने के लिए अपनी शादी की घड़ी 400 रुपए में बेच दी, जिसे वे 5 साल से संभाले रखे थे.

उन पैसो से स्वामीनारायण ने बैटरी खरीदी, खिलौने में लगाया, और बाइक को दौडाया. उसने इसतरह बेटे का सपना पूरा किया.

जब बाइक दौड़ने लगी तो विदीत खिलखिलाकर हंसा और दौड़ता हुआ अपने पिता के बाहों में कूद पडा. विदीत ने पापा के गाल पर एक किस्सी की और बोला ‘थेंक्यु पापा, लव यु’

बेटे विदीत के ये चार शब्द सुनकर पिता स्वामी नारायण अपने सारे गम भूल गए और ईश्वर से अपने बच्चे के लिए मनोकामना की!

मित्रो… पिता-बेटे के प्रेम की ये सच्ची कहानी मैंने ही सूनी है. ये कहानी मेरी बिल्डिंग में काम करने वाले वाचमैन स्वामीनारायण की है. स्वामीनारायण को अपने घड़ी से बहोत लगाव था, लेकिन आज उनकी सूनी कलाई देख मेरी आँख भर आई. मैंने और मेरे मित्रो ने तय किया है कि जल्द ही हम मिलकर उनके लिए एक घड़ी खरीदेंगे और उन्हें सरप्राइज़ गिफ्ट करेंगे.

घड़ी पाकर स्वामीनारायण के चेहरे पर जो खुशी आएगी, उसे मै कैमरे में कैद करने की कोशिश करूंगा और आपके साथ भी उस तस्वीर को शेयर करूंगा.

आप देखेंगे ना… ?

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