जीवन शैली

मिर्च का कौन – सा हिस्सा बनाता है उसे तीखा !

मिर्च के तीखेपन – मिर्च मसालो के बिना भारतीय खाना पूरा नहीं होता, मिर्च हमारे खाने का ज़ाएका बढ़ाती है ।

वैसे तो कई तरह की मिर्च हमारे यहां प्रचलित है हरी मिर्च, लाल मिर्च,काली मिर्च, देगी मिर्च या कश्मीरी मिर्च ऐसी ही कई तरह की मिर्च की किस्मे हमारे यहां प्रचलित है। पर कभी आपने सोचा है ये मिर्च तीखी होती किस वज़ह से है, अगर आप ये कहने वाले है इसके बीज़़ो की वज़ह से तो एक बार फिर सोच लीजिए, कि क्या सच में मिर्च के बीज़ मिर्च के तीखे होने का कारण है ?

आज आपके इसी भ्रम को दूर करते है और जानते है सच में मिर्च तीखे होने के पीछे क्या कारण है :-

मिर्च तीखी क्यों लगती है ये तीखापन उसे कैसे मिलता है ?

मिर्च का तीखापन कम करने के लिए अगर आप भी सालो से मिर्च के बीज़ो को निकालते आएं है तो आप बहुत बड़ी गलती कर रहे है । मिर्च के बीज़ उसके तीखेपन के लिए जिम्मेदार नहीं है इसलिए उन्हे हटाकर आपको कोई फायदा नहीं मिलेगा तो यहां सवाल उठता है कि आखिर तीखापन मिर्च को मिलता कहां से है?असल में मिर्च का तीखापन उसके सफेद हिस्से से आता है जिसके आसपास की जगह को मिर्च के बीज़ कवर करते है मिर्च का वो हिस्सा प्लेसेंटा कहलाता है । प्लेसेंटा वो जगह है जहां कैप्साइसिन का उत्पादन होता है यही वो कैमिकल है जिससे गर्मी की अनुभूति उत्पन होती है और मिर्च का स्वाद हमें तीखा लगता है ।

कैप्साइसिन आखिर है क्या?

कैप्साइसिन की बात की जाए तो ये वही तत्व है जिसके कारण मिर्च में तीखापन होता है इसे कैप्सीसिनोइड के नाम से भी जाना जाता है ये तत्व मिर्च वंश के ज़्यादातर पदार्थो मे पाया जाता है । 1816 में पहली बार कैप्साइसिन अशुध्द तौर पर अलग किया गया था ।

क्या मिर्च के तीखेपन को मापा जा सकता है ?

हाँ, मिर्च के तीखेपन को मापने लिए एक तरीका है । एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1912 में एक कैमिस्ट ने मिर्च के तीखेपन को मापने का मेथड बनाया, जिसे स्कोविल ओरगनोलेप्टीक टेस्ट के नाम से जाना जाता है । इस टेस्ट से आप ना केवल मिर्च का तीखापन माप सकते है बल्कि इस टेस्ट के जरिए आप ये भी जान सकते है उस मिर्च को कम करने लिए आपको कितना चीनी के पानी का सलुशन चाहिए होगा ।

मिर्च के तीखेपन से तो हम सब वाकिफ है पर वास्तव में हमारे साथ क्या होता जब भी हम मिर्च खाते है ?

जब हम मिर्च खाते है तो कैप्साइसिन नामक कैमिकल हमारे मूंह और गले में गर्मी की सेंसेशन उत्पन्न करते है जिसके कारण हमारे दिमाग को सिगनल मिलता है और परिणाम स्वरूप रक्त स्राव बढ़ जाता है जिसकी वज़ह से मिलने वाले दर्द की वज़ह से एंडोर्फिन नामक नैचुरल दर्दनिवारक भी शरीर में बनता, जो हमें संतुष्टि के एहसास के साथ ही हमारी आँखो में आँसू से भर देता है ।

उफ उफ ये मिर्च भी शादी के लड्डू जैसी है इसे खाए बिना रहा भी ना जाए और खाने के बाद सहा भी नहीं जाए , अब मिर्च की फिदरत ही ऐसी है कोई क्या कर सकता है ।

पर मिर्च खाने में स्वाद बढ़ाने के साथ- साथ हमारी सेहत को भी काफी फायदा देती है । इसे खाने से मेटाबॉलिज़्म अच्छा होता है, ये हमारे दिल, आँखो और मस्तिष्क की सेहत की लिए बहुत अच्छी है तो इसे अपनी डाइट में जरूर इसे शामिल करें ।

Ruchi Sharma

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