ENG | HINDI

भारत की इस रुढ़िवादी परम्परा में बच्चों को उंचाई से फेंका जाता है !

बच्चों को उंचाई से नीचे फेंकने का रिवाज

विविधताओं से परिपूर्ण भारत में भौगोलिक और ऐतिहासिक रूप से कहीं अधिक विविधता यहां के समाज और समुदायों के बीच है।

यहां कभी-कभी यह कहना बड़ा ही मुश्किल हो जाता है कि कौन-सी परंपरा आस्था की श्रेणी में आती है और कौन-सी अंधविश्वास है।

हम आस्था और अंधविश्वास में फर्क ही नहीं समझ पाएंगे क्योंकि हम परंपरा और रिवाजों में इतने उलझे हुये है कि ना चाहते हुए भी हम इन अजीब परम्पराओं का हिस्सा बन जाते है।

ऐसी ही एक परम्परा है ‘अच्छे भाग्य के लिए बच्चों को उंचाई से नीचे फेंकने का रिवाज’। आस्था और विश्वास के नाम पर बच्चों को छत से नीचे फेंकने की यह अजीबोगरीब परंपरा कई वर्षो से चली आ रही है।

बच्चों को उंचाई से नीचे फेंकने का रिवाज –

बच्चों को उंचाई से नीचे फेंकने का रिवाज

जानिये कहां फेंका जाता है बच्चो को छत से-

ये रुढ़िवादी परम्परा पिछले कई वर्षो से महाराष्ट्र के शोलापुर में बाबा उमर की दरगाह पर तथाकथित तौर पर जारी है। इस मान्यता में नवजात बच्चे को ऊँचाई से फेंकने की परंपरा है। कुछ ऐसी ही परम्परा कर्नाटक के इंडी में स्थित श्री संतेश्वर मंदिर में कई वर्षो से चली आ रही है जिसमें नवजात बच्चों को छत से नीचे फेंका जाता है।

बच्चों को उंचाई से नीचे फेंकने का रिवाज के पीछे है अजीब तर्क-

इस मान्यता के पीछे लोगो का अजीब तर्क है, कहा जाता है कि इससे उस मासूम के परिवार का भाग्योदय होता है। इसके साथ ही इससे बच्चे को आशीर्वाद मिलता है और बच्चा ताउम्र स्वस्थ रहता है।

बच्चों को उंचाई से नीचे फेंकने का रिवाज 700 वर्षो से चला आ रहा है –

कहा जाता है कि ये परम्परा पिछले कई वर्षो से जारी है। जब इसको लेकर पड़ताल की गई तो पता चला की करीब 700 वर्षो से तथाकथित तौर पर जारी है और बच्चों को यहां छत से नीचे फेंका जा रहा है।

जानिये कितनी उँचाई से फेंका जाता है-

इस परम्परा में बच्चे को करीब 30 से 50 फीट की ऊँचाई से फेंका जाता है। इतनी ऊँचाई से बच्चे को फेंकने के बाद नीचे कुछ लोग कम्बल लेकर खड़े होते है जिसमें बच्चे को झेला जाता है।

बड़ी संख्या में लोग होते है शामिल-

बच्चों को उंचाई से नीचे फेंकने का रिवाज में हिस्सा लेने के लिये बड़ी संख्या में हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल होते है और अपने बच्चो को लेकर आते है। यहां पर अधिक्तर उन दम्पतियों के बच्चों को फेंका जाता है जिनको काफी समय बाद पहली बार बच्चा हुआ है।

अगर कोई परंपरा या मान्यता पिछले कई वर्षों चली आ रही है तो इसका मतलब ये बिल्कुल नही है कि वो सही है। वैसे इस तरह बच्चों को ऊँचाई से फेंकना अपराध है और इसमें उस मासूम बच्चे की जान भी जा सकती है। हम उम्मीद करेंगे की भारत सरकार और हमारा कानून इस रूढ़ीवादी परंपरा के खिलाफ कोई ठोस कदम उठायेगी।