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सतयुग से कलयुग तक कईं कहानियों में हिरन ने बदली है लोगों की किस्मत, जानकर आप भी चौंक जाएंगे

हिरन

अभी कुछ वक्त पहले जब सलमान ख़ान को काले हिरन के शिकार के मामले में सज़ा हुई और फिर बेल हुई तो हिरन को लेकर सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनल तक कईं तरह की खबरें और तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई। कोई इसे सही बता रहा है तो कुछ लोग पूरी तरह से इसके विरोध में थे।

वैसे, हिन्दू धर्म में पशु-पक्षी और पेड़ सभी को आदर की दृष्टि से देखा जाता है और सभी की अपनी अहमियत है। शेर हो या हिरन, पीपल का पेड़ या फिर बरगद का, सभी की अलग महत्ता है।

आज हम आपको बताने जा रहे हैं हिरन से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां, जिनसे आप जान पाएंगे  कि किस प्रकार हर युग में हिरन ने लोगों की किस्मत ही बदल दी है। हिन्दू धर्म में चार युग माने गए हैं और चारों युगों से कोई ना कोई ऐसी कहानी जुड़ी है जो बताती है कि किस तरह हिरन ने लोगों का भविष्य ही बदल दिया है।

अगर बात सतयुग की करें तो हिन्दू धर्म में सतयुग को एक ऐसा युग माना जाता रहा है जिसमें किसी के बीच कोई बैर भाव. कोई द्वेष नहीं था। यहां तक कि इस युग की महिमा का वर्णन करने के लिए कहा जाता है कि इस युग में हिरण और शेर एक साथ पानी पीते थे। पुराणों में भी इस बात का वर्णन है कि माता सरस्वती ने लाल हिरण का रूप लिया था। मां सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है इसलिए इस रूप में इंसान ने हिरण की खाल पहनना और उसका इस्तेमाल करना सीखा था। मतलब स्वंय देवी ने हिरन का अवतार लिया था।

हिरन

त्रेतायुग में भी हिरन ही पूरी कहानी का आधार बना। इस कहानी से आप सभी लोग परिचित होंगे कि राजा दशरथ हिरण के शिकार पर निकले थे और ग़लती से उनका तीर श्रवण कुमार को लग गया जिसके फलस्वरूप वो पुत्रवियोग के श्राप के भागीदार बनें। इसके अलावा, सीता ने भी स्वर्ण हिरण का रूप धरे हुए मरीच को पाना चाहा, उसी का शिकार करने हेतु श्रीराम गए और जब मारीच को तीर लगा तो उसने राम की आवाज़ में लक्ष्मण को पुकारा और लक्ष्मण, श्रीराम की सहायता के लिए चले गए। उसी समय रावण, भिक्षु के वेश में माता सीता का हरण कर ले गया। इस प्रकार त्रेतायुग में हिरण के कारण ही पूरी कहानी ने एक अलग मोड़ लिया।

हिरन

सतयुग और त्रेतायुग की तरह, द्वापर युग में भी हिरण को लेकर एक विचित्र कहानी प्रचलित है। इस कहानी के अनुसार, भरत नाम के एक राजा शालग्राम में रहते थे। जहां एक बार भरत ने एक हिरणी को देखा जिसने शेर की दहाड़ से डरकर असमय ही बच्चे को जन्म दे दिया। हिरणी तो मर गई लेकिन भरत हिरणी के बच्चे को अपने साथ महल ले आए। वो उस हिरण से बहुत प्रेम करते थे। राज-काज, अपने परिवार और भगवान को भी बिसराकर वो हिरण के साथ वक्त बिताया करते थे। जब उनका राज्य छूटा तब भी वो हिरण को अपने साथ ले गए और अंतिम समय में भी वो उसी हिरण के बारे में विचार कर रहे थे जिसकी वजह से उनका अगला जन्म हिरण के रूप में हुआ। वो जातिस्मारा हिरण बने, अपने पूर्व जन्म के बारे में सब याद होने के कारण वो शालिग्राम वापिस आ गए और यहां हिरण के रूप में ही उनकी मृत्यु हुई। अगले जन्म में वो जातिस्मारा ब्राह्मण बने और उन्होने बहुत सारा ज्ञान पाकर मोक्ष प्राप्त किया।  इस प्रकार एक हिरण के कारण राजा भरत का जीवन भी बदल गया।

हिरन

अगर बात कलयुग की करें तो सलमान ख़ान से पहले सैफ अली खान के पिता मंसूर अली खान पटौदी भी काले हिरण शिकार के मामले में फंस चुके हैं।

हिरन

इस प्रकार, हर युग में हिरण ने कईं लोगों के भविष्य और वर्तमान को पूरी तरह से बदल दिया। हर युग में हिरण को लेकर एक अलग कहानी प्रचलित है जिसका अपना अलग महत्व है।

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इतिहास