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कांग्रेस तब सड़क पर खेल रही थी खून की होली – ना जाने क्यों मासूमों की ली थी तब कांग्रेसियों ने जान

कांग्रेस

साल 1984 में 3000 से अधिक सिखों का नरसंहार कांग्रेसी नेताओं व कार्यकर्ताओं ने किया था.

और ये हिंदू-सिख दंगों के नाम से जाना जाता है.

असल में यह दंगे कांगेस-सिख दंगे थे. इंदिरा गांधी की मृत्यु का बदला था. आज तक कांग्रेस आरोप लगाती रहती है कि बीजेपी ने देश को सिर्फ और सिर्फ दंगे दिए हैं तो आज हम आपको बता दें कि आजाद भारत के सबसे बड़े दंगों में 84 का दंगा ही है.

आप यकीन मानिये कि अगर राजीव गांधी जो उस समय सबसे बड़े कांग्रेसी नेता थे सही समय पर कार्यवाही करते तो मासूम लोगों की जान बच सकती थी. लेकिन आखिर क्या कारण थे कि उस समय कांग्रेसी लोग और नेता सड़कों पर खून की होली खेल रहे थे.

तो इस सच को जानने के लिए आपको इस पोस्ट का एक-एक शब्द पढ़ना होगा-
 
आखिर क्यों हुए थे दंगे ?

आपको पता होना चाहिए कि इंदिरा गांधी की हत्या में सिख लोगों का नाम आया था. इंदिरा गांधी के ही सुरक्षा अधिकारीयों ने उनको गोलियों से भून दिया था. यह बात जब कांग्रेसियों को पता चली तो सभी कांग्रेसी, सिखों से बदला लेने के दिल बना चुके थे. सबसे बड़ी बात यह थी कि जब यह दंगे शुरू हुए तो सेना और पुलिस ने उस तरह की कार्यवाही ही नहीं की थी जिसकी उम्मीद की जा सकती थी.

सच यह है कि 1984 दंगों में सेना की तैनाती में जानबूझकर देरी की गई थी. पुलिस ने दख़ल देने से इनकार कर दिया था. लेकिन आखिर क्यों पुलिस दंगाईयों पर कार्यवाही नहीं कर रही थी?  वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमल नाथ, एच.के.एल भगत, जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार पर आरोप हैं कि उन्होंने दंगाइयों का नेतृत्व किया था. भीड़ ने सिखों को मारा और उनका सामान लूट लिया था.

उस समय के हालात देखकर साफ नजर आता है कि दंगाई निश्चित रूप से किसी के इशारों पर काम कर रहे थे. अब आप ही देखिये कि जिन नेताओं का इन दंगों में नाम है वह कांग्रेस पार्टी में कितनी तेज गति से आगे बढ़े हैं.

राजीव गाँधी को क्या करना चाहिए

आजादी के बाद देश का यह पहला सबसे बड़ा दंगा था. अगर राजीव गांधी तभी एक सही कार्यवाही कर लेते तो आज गुजरात और बाबरी मस्जिद असल में होते ही नहीं. लेकिन जिस तरह से राजीव गांधी ने काम किया था साफ़ दिखता है कि वह चाहते थे कि ऐसा हो. वरना अपने नेताओं को वह हद में रख सकते थे. अपने कार्यकर्ताओं को समझा सकते थे. जल्द से जल्द आर्मी का इंतजाम कर, हालात सही किये जा सकते थे. लेकिन शायद गांधी परिवार बदले की भावना से काम कर रहा था.

आज कोई भी कांग्रेसी नेता सिख दंगों पर क्यों नहीं बोलता है?

क्या कांग्रेस ने तब सरेआम खून की होली नहीं खेली थी?

सिख बच्चों से लेकर महिलाओं तक पर अत्याचार किये गये थे. इसके लिए किसको जिम्मेदार ठहराया जाये, क्या कोई जवाब दे सकता है और जो लोग आज भी न्याय की मांग कर रहे हैं क्या उनको जल्द से जल्द न्याय मिल पायेगा?

आज भी लग नहीं रहा है…