Categories: सेहत

नेताओं, योग के तवे पर राजनीति की रोटियाँ सेंकना बंद करो

सूर्य नमस्कार को लेकर  भारत में बवाल मचा हुआ है.

दो अलग-अलग धर्मों के लोग भिड़े हुए है और उनकी आड़ में राजनैतिक दल भी अपनी अपनी रोटियाँ सेकने में लगे है.

अगर गौर से देखे तो सूर्य नमस्कार करने से किसी को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए.

योग किसी धर्म विशेष को फायदा पहुंचता है और किसी धर्म विशेष को नुक्सान ऐसी तो कोई बात नहीं है.

और अगर इतिहास में जाकर देखे तो मिस्र की सभ्यता से लेकर हर पुरातन सभ्यता में सूर्य को सबसे शक्तिशाली माना गया है. वैज्ञानिक और आर्थिक रूप से अति समृद्ध मिस्र में भी रा अर्थात सूर्य की पूजा की जाती थी. आखिर सौर मंडल का आधार ही सूर्य माना गया है और सूर्य की बदौलत ही हमारी पृथ्वी का अस्तित्व है. इसीलिए किसी न किसी बहाने से सूर्य का पूजन किया जाता था.

इसी तरह भारत में भी योग को प्रचलित करने के लिए सूर्य का ही सहारा लिया गया. तब भी यही होता था और अब भी ऐसा ही होता है कि अगर किसी को कोई काम करवाना हो तो धर्म या भगवान् का सहारा लो और लोग बिना सोचे वो बात मान लेंगे. तो व्यायाम योग को प्रचारित करने के लिए सूर्य का सहारा लिया गया.

हर एक आसान के लिए एक मन्त्र, लोगों का ध्यान मन्त्र पर रहेगा और साथ ही साथ योग से सेहत सुधर जाएगी  और लोग ये सोचेंगे की सूर्य भगवान् की दया हुयी है.

योग और सूर्य नमस्कार का धर्म से कोई लेना देना नहीं है. बिना मन्त्र बोले भी ये किया जा सकता है.

आने वाले विश्व योग दिवस पर स्कूलों में योग और सूर्य नमस्कार करवाने पर मचा बवाल नाहक ही है.

योग और  सूर्य नमस्कार जैसी चीज़ें किसी देश या धर्म की नहीं है, जो भी योग या सूर्य नमस्कार अपनी सेहत के लिए करना चाहे कर सकता है. तभी तो दुनिया में कितने ही देशों के करोड़ों लोगो ने योग को हाथोंहाथ लिया है.

राजनेताओं और धर्म के ठेकेदारों को भी इस विषय पर बहस, विरोध करने से बेहतर कुछ ऐसा रास्ता निकालना चाहिए कि जो भी  योग या सूर्यनमस्कार से सेहत लाभ लेना चाहे वो इसे अपने हिसाब से कर सकता है. मन्त्र भजन से तो वैसे भी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा सेहत पर अच्छा असर तो योग और व्यायाम से ही होगा.

और फिर भी धर्म के ठेकेदार चाहे तो योग और सूर्यनमस्कार को अपने अपने धर्म के अनुसार नाम और मन्त्र बाँट दे और जो लोग करना चाहे उन्हें करने दे और जो लोग नहीं करना चाहते उन्हें ज़बरन करने पर मजबूर ना करे .

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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