विशेष

एक ऐसा आदमी जो 1 नहीं, 2 नहीं, बल्कि 17 भाषाओं में उल्टा लिखता है !

राम कृपाल – मन में विश्वास हो तो कोई भी काम अधूरा नहीं रह सकता.

आप दुनिया का हर वो काम कर सकते हैं, जिसकी आप ठान लें. बड़े से बड़ा काम भी मुमकिन हो जाता है लगातार प्रयास से.

कुँए से पानी निकालते वक्त रस्सी भी पत्थर पर निशाँ बना ही देती है. लगातार घिसते रहने से पत्थर पर न सिर्फ निशान बनता है बल्कि वो पत्थर एक समय के बाद टूट भी जाता है.

शायद इसीलिए कहते हैं कि जीवन में कुछ भी मुश्किल नहीं है बस ज़रुरत है तो शुरुआत करने की.

एक ऐसी ही शुरुआत एक शख्स ने की.

पढ़ाई के दौरान ही उसके पिता की मौत हो गई जिससे उसे अपनी पढाई बीच में ही छोड़नी पड़ी और घर को चलाने के लिए छोटे मोटे काम करने पड़े. लेकिन उसने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करके न सिर्फ अपना घर चलाया बल्कि अपनी पढाई भी पूरी की.

ये शख्स कहीं और का नहीं बल्कि भारत का ही है. हमारे देश में एक से एक हीरे पड़े हुए हैं, जिन्हें बस तराशने की ज़रुरत है.

लेकिन इस हीरे ने तो खुद को ही तराश लिया. बलरामपुर के बाजीगर राम कृपाल जी पिता की मृत्यु के बाद मजदूरी करने पर मजबूर रामकृपाल को एक छोटी सी घटना ने ऐसा बदल दिया कि वह उल्टे लेखन का उस्ताद बन गया. अशिक्षा की टीस ऐसी उभरी कि एक शख्स बन बैठा उल्टे शब्दों का बाजीगर. उल्टे शब्दों का यह अनोखा बाजीगर 17 भाषाओं में उल्टे लिखने की कला दिखाता है. आज राम कृपाल का हर कोई इंटरव्यू करना चाहता है.

ये कोई हाई-फाई लड़का नहीं बल्कि बहुत ही साधारण व्यक्ति है.

देखने में रामकृपाल बहुत ही साधारण सा व्यक्ति हैं, लेकिन वास्तव में वह हैं उल्टे शब्दों के बाजीगर. उल्टे शब्दों को धड़ाधड़ लिखने में उन्हें महारथ हासिल है. वह भी एक, दो नहीं बल्कि 17 भाषाओं में उसकी उल्टी लेखनी चर्चा का विषय है. राम कृपाल कक्षा आठ के विद्यार्थी थे, जब उनके पिता की असमय मृत्यु हो गयी. परिवार के बोझ ने राम कृपाल को मजदूरी करने पर मजबूर कर दिया. रामकृपाल कानपुर के एक प्रतिष्ठान में काम करने लगे.

एक दिन अपने दोस्त की शादी में टाई पहनने पर उसके मालिक ने उलाहना दे दी. यही उलाहना रामकृपाल के मन में घर कर गयी. इस उलाहना ने राम कृपाल को आज कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया.

आज देश ही नहीं दुनिया में राम कृपाल का नाम लोग जानते हैं.

राम कृपाल अपनी इस कला को सीखने के लिए दिन-रात मेहनत करते रहे.

लोग उनपर हँसते थे. लोगों को लगता था कि क्या पागल है जो इस तरह से उलटी-सीधी पढ़ाई कर रहा है, राम कृपाल ने मन में राम का नाम लेकर इस कम को शुरू किया. नौकरी करते हुए राम कृपाल ने इस काम को अंजाम दिया. महज़ कुछ सालों की मेहनत ने राम कृपाल को आज गूगल सर्च में डाल दिया.

किसी ने सच ही कहा ही कि अगर किसी काम को करने की मन में चाह रख लो तो वो पूरी ज़रूर होती है. इसका उदाहरण हम सभी राम कृपाल के रूप में देख सकते हैं.

Shweta Singh

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Shweta Singh

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