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बिना कपड़ों के ख़ुद को देखा है कभी शीशे में?

अपने आप से हर कोई प्यार करता है, कोई कम कोई ज़्यादा|

कोई ख़ुद को बेहद गंभीरता से लेता है तो कोई ख़ुद को ही मज़ाक में उड़ा देता है|

लेकिन जब बात आती है अपने शरीर की, तब सभी की सोच एकदम बदल जाती है| अपने रूप-रंग और शरीर की बनावट को लेकर कुछ ही लोग हैं जो इस दुनिया में ख़ुश हैं, बाकि तो सभी की सोच अपनी बनावट को लेकर डांवाडोल है!

बिना कपड़ों के ख़ुद को देखा है? और अगर नहीं भी है, तो अब साइंस बता रही है कि कैसे हम अपने आप के लिए ख़ुद ही मुश्किलें खड़ी कर देते हैं और वो भी मात्र शीशे में ख़ुद को निहारते हुए!

जी हाँ, एक रिसर्च के अनुसार, महिलाएँ दिन में करीबन 38 बार ख़ुद को शीशे में देखती हैं और आदमी करीब 18 बार! और आदमियों से ज़्यादा औरतें अपनी सुंदरता से नाखुश रहती हैं! शरीर का कोई न कोई अंग उन्हें नापसंद ही होता है और अगर कुछ पसंद आता भी है तो लगातार शीशे में देखते रहने से उस में भी ख़ामियाँ निकालनी शुरू कर देती हैं!

यही रिसर्च का मुद्दा भी था जिसमें कि ऐसे रोगियों के बारे में जानने की कोशिश की गयी जो हमेशा ही अपने शरीर से नाखुश रहते हैं और इस बीमारी को कहते हैं बॉडी डिसमोर्फिक डिसऑर्डर| लेकिन नतीजे कुछ और ही निकले| पता चला शीशे में लगातार देखते रहने से इन रोगियों में तो डिप्रेशन और स्ट्रेस की मात्रा बढ़ी ही, जिन्हें यह बीमारी नहीं है, वो भी लगातार ख़ुद को आईने में देखते हुए अपने आप में कमियाँ निकलने लगे और उनकी भी स्ट्रेस की मात्रा काफी बढ़ गयी!

यही कारण है कि बहुत सी औरतें हद से ज़्यादा मेक-अप करती हैं या ऐसे कपड़े पहनती हैं जिन से कि या तो वो अपनी कमियाँ छुपा सकें या उनसे ध्यान बंटा सकें! और तो और, जो पहले से अपने शरीर को लेकर ख़ुश नहीं हैं, वो शीशे में सिर्फ़ अपने दोषों पर ही नज़र डालेंगी, लेकिन जो बिंदास हैं और अपने आप से पूरी तरह ख़ुश हैं, उन्हें शीशे में अपनी सुंदरता ही नज़र आती है!

तो आपको क्या नज़र आता है आईने में? क्या आप ख़ुश हैं अपने शरीर से? अगर नहीं, तो क्या कर रहे हैं उसे बेहतर बनाने के लिए?

देखो दोस्तों, शरीर की सुंदरता ज़रूरी है लेकिन उसे लेकर चिंता करना, परेशान होना, डिप्रेशन में चले जाना कोई हल नहीं है! ज़रूरी है कि जैसा शरीर आपको चाहिए, वैसा पाने के लिए सही खाना खाइये, एक्सेरसाइज़ कीजिये और सबसे ज़रूरी बात ख़ुश रहिये! हर किसी के शरीर में ऐसा कुछ होता है जो आप चाह के भी बदल नहीं सकते तो उसे अपनाईये और जो बदल सकते हैं उसके लिए मेहनत कीजिये!

और हाँ, ज़्यादा शीशे में मत निहारते बैठिये, ये कभी-कभी आपका दुश्मन भी बन सकता है! मान लीजिये कि आप सुन्दर हैं और दूसरों से किसी सर्टिफिकेट की आपको कोई ज़रुरत नहीं है! बाकि इम्प्रूवमेंट की गुंजाइश तो हमेशा ही रहती है, उस पर काम चलने दीजिये|

ख़ुश रहिये क्योंकि आप ख़ूबसूरत हैं!

Nitish Bakshi

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Nitish Bakshi

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