ENG | HINDI

क्यों मनाई जाती है हरतालिका तीज?

हरतालिका तीज

पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ के अलावा हमारे देश में हरतालिका तीज का भी बहुत महत्व है. करवाचौथ में जहां चांद देखकर महिलाएं खाना खा लेती हैं, वहीं तीज के व्रत में पानी तक नहीं पीया जाता है. अगले दिन सुबह ही व्रत खोला जाता है. चलिए आपको बताते हैं कि हरतालिका तीज आखिर मनाई क्यों जाती है.

सुहागिनों के पवित्र त्योहार हरतालिका का बहुत महत्व है. ये त्योहार यूपी, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं नए कपड़े पहने के साथ ही सोलह श्रृंगार करती हैं और भगवान भोलनाथ और माता पार्वती की पूजा कर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. कुंवारी लड़कियां भी ये त्योहार करती हैं. ऐसा माना जाता है कि तीज करने के उन्हें मनचाहा पति मिलता है. भगवान की पूजा करने के साथ कई जगहों पर कथा सुनने का भी रिवाज है.

आपको बता दें कि हरतालिका का माता पार्वती से बहुत गहरा नाता है. ये त्योहार उन्होंने ही शुरू किया था. लिंग पुराण की एक कथा के अनुसार मां पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए हिमालय पर गंगा के तट पर छोटी उम्र बाल्यावस्था में अधोमुखी होकर कठिन तपस्या की. इस दौरान उन्होंने न कुछ खाया और न ही पानी पीया. काफी समय सूखे पत्ते चबाकर काटी और फिर कई वर्षों तक उन्होंने केवल हवा पीकर बिताए. माता पार्वती की यह स्थिति देखकर उनके पिता बहुत दुखी हुए.

इसी दौरान एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर मां पार्वती के पिता के पास पहुंचे, जिसे उन्होंने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया. पिता ने जब मां पार्वती को उनके विवाह की बात बताई, तो वह बहुत दुखी हो गई और जोर-जोर से रोने लगीं. फिर उनकी एक सहेली ने पूछा की आप रो क्यों रही हैं, इस पर पार्वीत ने बताया कि वह भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन व्रत कर रही हैं जबकि उनके पिता उनका विवाह विष्णु से कराना चाहते हैं.

इसके बाद उनकी सहेली ने उन्हें जंगल में चले जाने की सलाह दी. माता पार्वती ने इसके एक गुफा में जाकर भगवान शिव की आराधना की. भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र को माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग बनाया और भोलेनाथ का स्मरण करके रात भर जागरण किया. पार्वती की कठिन तपस्या देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छानुसार उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया. तभी से हरतालिका तीज सुहागिनों का सबसे बड़ा व्रत बन गया.

आज देश भर में महिलाएं हरतालिका तीज का त्योहार मना रही हैं. भगवान शिव से उनकी भी यही गुजारिश है कि वो उनके दांप्तय जीवन को खुशहाल बनाए रखें और उनके पति को हर संकट से बचाएं.