ENG | HINDI

हनुमान और उनकी पत्नी सुर्वचला का मंदिर ! जानिये ब्रह्मचारी हनुमान जी के विवाह की कथा!

हनुमान और उनकी पत्नी सुर्वचला का मन्दिर

हमेशा से हनुमान जी के बारे में हम जानते है कि वे बाल ब्रह्मचारी है और कई वेद-पुराणों में उनके ब्रह्मचर्य की बातें लिखी हुई है।

लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में खासकर तेलंगाना प्रदेश में हनुमान जी को विवाहित माना जाता है। तेलंगाना में कई कहानियां और मान्यताएं प्रचलित है जिसमें हनुमान जी की पत्नी का नाम सुर्वचला बताया गया है। सुर्वचला सूर्यदेव की पुत्री है। यहाँ पर हनुमान और उनकी पत्नी सुर्वचला का मन्दिर भी स्थित है।

यहाँ स्थित है हनुमान और उनकी पत्नी सुर्वचला का मन्दिर –

तेलंगाना में है हनुमान और उनकी पत्नी सुर्वचला का मंदिर

आपको जानकर हैरानी होगी कि बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी के विवाह के प्रमाण पाराशर संहिता में भी मिलते है।

इसमें हनुमान और सुर्वचला के विवाह की कथा है। तेलंगाना में हनुमान और उनकी पत्नी सुर्वचला का मन्दिर खम्मम जिले में है। यह एक प्राचीन मंदिर है और यहाँ पर हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी सुर्वचला की प्रतिमा विराजमान है। इस मंदिर को लेकर लोगो की मान्यता है कि जो भी उनकी पत्नी और हनुमान जी के दर्शन करता है उनकी सभी वैवाहिक परेशानियाँ दूर होकर उनके बीच प्रेम बना रहता है।

हनुमान जी के विवाह की पौराणिक कथा –

पराशर संहिता के अनुसार हनुमान जी और सुर्वचला के विवाह के पीछे की कहानी कुछ इस तरह है, कहा जाता है कि हनुमान जी सूर्यदेव को अपना गुरु मानते थे और सूर्यदेव के पास 9 दिव्य विधायें थी। इन सभी विधाओं का ज्ञान बजरंग बलि प्राप्त करना चाहते थे। सूर्यदेव ने 9 मे से 5 विधाओं का ज्ञान तो हनुमान जी को दे दिया लेकिन 4 विधाओं के लिए संकट खड़ा हो गया ।  इन 4 विधाओं का ज्ञान सिर्फ उन्ही शिष्यों को दिया जाता है जो विवाहित हो, क्योंकि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए सूर्यदेव उन 4 विधाओं का ज्ञान देने में असमर्थ हो गए।

इस समस्या के निराकरण के लिए सूर्य देव ने हनुमान जी के समक्ष विवाह की बात कही पहले तो हनुमान जी ने विवाह के लिए मना कर दिया, लेकिन उन 4 विधाओं के ज्ञान के लिए आखिर उन्होंने विवाह के लिए हामी भर दी।

जब हनुमान जी विवाह के लिए मान गए तो उनके लिए योग्य कन्या की तलाश की गई।

विवाह के लिए कन्या की तलाश आकर ख़त्म हुई सूर्य देव की पुत्री सुर्वचला पर। सूर्यदेव ने कहा कि सुर्वचला परम तपस्वी और तेजस्वी है, और इसका तेज तुम ही सहन कर सकते हो।

सूर्यदेव ने आगे कहा सुर्वचला से विवाह के बाद भी तुम बाल ब्रह्मचारी ही रहोगे क्योंकि विवाह के बाद सुर्वचला पुनः तपस्या में लीन हो जाएगी।

यह सब बाते जानने के बाद हनुमान जी और सुर्वचला का विवाह हुआ। विवाह के बाद सुर्वचला तपस्या में लीन हो गई और हनुमान जी ने सूर्यदेव से उन 4 विधाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। इस प्रकार विवाह के बाद भी हनुमान जी आजतक ब्रह्मचारी है।

ये है हनुमान और उनकी पत्नी सुर्वचला का मन्दिर और उनके विवाह की कथा ।