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एक जाम गुजराती छात्रों के नाम!

Mumbai Local Train

मुंबई में मौजूद चार्टर्ड अकाउंटेंट छात्रों में आधे से ज़्यादा गुजराती होते हैं. बही-खाते से सम्बंधित इस अध्ययन क्षेत्र में गुजराती छात्रों से ज्यादा और किसी का दिमाग नहीं चल पता है जो कि एक असलियत है. यह बात तो काफी हद तक साफ़ हो चुकी है कि गुजराती छात्र इस क्षेत्र में लाजवाब होते हैं.

चलिए बात करते हैं मुंबई की लोकल ट्रेनों की!

वाह! कितना मज़ा आता है जब 1 स्क. फीट. की जगह पर कम से कम 4-5 लोग आपके साथ अपना बदन रगड़ना शुरू कर देते हैं. है न? यह मज़ा ‘शिर्डी वाले साईं बाबा’ क़व्वाली के अलग-अलग संस्करण गाने वाले लोग काफी हद तक बढ़ा देते हैं. जी हाँ “काफी हद तक”. लेकिन, जब दल में नाक पर ऐनक चढाये, कालर वाली टी- शर्ट पहने, हलकी सी मूंछ उगाये और खुद के वज़न के समानांतर वाले वज़न वाली बैग को कन्धों से लटकाए कुछ गुजराती छात्र शरीक हो जाते हैं तब आता है असली मज़ा.

गुजरात राज्य ने हमें ऐसे कई रत्न दिए हैं जो इस हिंदुस्तान नामक ताज पर हमेशा के लिए सज गए हैं.
गुजरात, महात्मा गाँधी, सरदार वल्लभभाई पटेल, जमशेद टाटा और धिरूभाई अम्बानी जैसे कई नामचीन हस्तियों की मातृभूमि रह चुकी है. लेकिन जब एक ट्रेन के खचाखच भरे डिब्बे में गुजराती में बही-खाते (accounts and book-keeping) से सम्बंधित मिल रहा अनचाहा ज्ञान कहीं से एकदम से प्राप्त होने लग जाए तब माथा थोडा ठनक सकता है.

गुजराती छात्र अपने मेहनती स्वाभाव के लिए जाने जाते हैं.जो कि वे होते हैं. ऐसी बहुत सारी चीज़ें हैं जिनके लिए वे प्रसिद्ध हैं. जैसे कि गट बनाकर रहना या टिफिन में तरह- तरह के गुजराती व्यंजनों का लाना. कई गुजराती छात्र तो अपनी दिनचर्या का कार्यक्रम लोकल ट्रेनों में ही बनाना शुरू कर देते हैं. गुजराती भाषा में तरह-तरह के सवाल-जवाब हवा में यूँ उछाल मारते हैं जैसे भगोने में पानी बहुत बुरी तरह उबल रहा हो.

जिग्नेश या कमलेश जैसे नामों से प्रचलित यह छात्र विशेष रूप से बही-खाते से सम्बंधित बातें बिना थके घंटों तक कर सकते हैं. आप अपने सफ़र में इनके बीच फँस जाएँ ऐसा होने की बहुत बड़ी सम्भावना है इसलिए साथ में रुई लेके घूमना लाभदायक साबित हो सकता है (*आँख मारता है*). कभी भी किसी भी चीज़ का बुरा ना मानने वाले गुजराती छात्रों का हमेशा भला होता था, होता है और होता रहेगा…..!
गुजरातियों की एक बात सबको पसंद आती है कि वे व्यंग का बुरा नहीं मानते. अपनी बैग में दुनिया भर का फरसाण लेके चलने वाले गुजराती छात्र बड़े ही मस्त-मौला होते हैं.

हमेशा सदाबहार रहने वाला इनका चेहरा दूसरों के चेहरे पर मुस्कान सजाता रहता है. लेकिन इनकी बातों के बीच कोई बंदा गलती से भी फसना नहीं चाहेगा! क्योंकि इतिहास गवाह रहा है कि गुजराती सब पर भारी पड़ सकते हैं.