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कश्मीर में क्यों राष्ट्रपति शासन नहीं, राज्यपाल शासन लगता है

राज्यपाल शासन

राज्यपाल शासन – जम्मु-कश्मीर हमारे देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां के लिए अलग से संविधान है।

वहां की घटनाएं जल्दी लोगों के सामने नहीं आती और अगर आती हैं तो अधिकतर नेगेटिव होती हैँ। जैसे की पैलेट गन, आतंकवाद आदि। कश्मीर की सबसे ज्यादा चर्चा इस साल शुरुआत में कठुआ रेप के कारण रही थी। अब वहां की सरकार गिर जाने के कारण हुई है।

बीते सप्ताह जम्मु-कश्मीर में बीजेपी गठबंधन टूट गया जिसके कारण वहां की सरकार गिर गई और फिर वहां राज्यापाल शासन लग गया। जिस तरह से देश के अन्य राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगता है वैसे ही जम्मु-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगता है। मतलब की जम्मु-कश्मीर में राष्ट्रपित शासन नहीं लगता है। वहां राष्ट्रपति की मंजूरी से राज्यपाल शासन लगता है।

राज्यपाल शासन लगा

मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद जम्मु-कश्मीर में उनकी सरकार गिर गई। जिसके बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने राष्ट्रपति को भेजे गये एक पत्र में राज्य में केन्द्र का शासन लागू करने की सिफारिश की थी। इसकी एक प्रति केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजी गयी थी। राष्ट्रपति ने राज्यभपाल की सिफारिश को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद तत्काल प्रभाव से प्रदेश में राज्यपाल शासन लागू हो गया है।

यहां नहीं लगता है राष्ट्रपति शासन

इस राज्य में राष्ट्रपति शासन कभी नहीं लगता है। जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत राज्य में छह माह के लिए राज्यपाल शासन लागू किया जाता है। लेकिन राज्यपाल का शासन राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ही लागू किया जा सकता है। भारत के संविधान में जम्मु-कश्मीर राज्य के लिए अलग से संविधान की व्यवस्था की गई है और यह देश का इकलौता ऐसा राज्य है जिसके पास अलग संविधान और नियम हैं। देश के अन्य राज्यों में संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है।

जम्मू कश्मीर में कब लगता है राज्यपाल शासन?

जम्मु-कश्मीर में दो स्थितियों में राज्यपाल शासन लगता है। एक तब जब वहीं की विधानसभा निलंबित हो जाती है और दूसरी स्थिति जब वहां कि विधानसभा को भंग कर दिया जाता है।

राज्यपाल शासन

मार्च 1977 में लगा था पहली बार राज्यपाल शासन

इस राज्य में सबसे पहले राज्यपाल शासन मार्च 1977 में लगा था। उस समय राज्य में नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस की सरकार थी। कांग्रेस ने अचानक से सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था जिसके कारण सरकार गिर गई थी। जिसके बाद 26 मार्च 1977 को राज्य में राज्यपाल शासन लगा था जो नौ जुलाई 1977 तक चला था। यानी की पहला राज्यपाल शासन 105 दिन तक लगा था। इस दौरान राज्य के राज्यपाल एलके झा रहे थे।

वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा हैं। वोहरा इस पद पर जून 2008 में काबिज हुए थे और उन्हें 2013 में फिर से राज्यपाल का कार्यभार सौंपा गया था। वह उन चुनिंदा राज्यपालों में से एक है जिन्हें संप्रग सरकार ने नियुक्त किया था और जो भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में भी अपने पद पर बने हुए हैं। इससे कयास हमेशा लगाए जाते रहते हैं कि भाजपा को वे पसंद हैं।

अब देखना यहा है कि इस राज्य में राज्यपाल शासन कब तग लगे रहता है या फिर ये भाजपा की 2019 की तैयारी है।