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आखिर क्यों धन के देवता कुबेर शिव मंदिर में चोरी करने के लिए हुए थे मजबूर !

धन का देवता कुबेर

धन का देवता कुबेर – सदियों से धन की देवी माता लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर जी की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है.

हिंदू धर्म के शास्त्रों में कुबेर को धन का देवता माना गया है. कहीं-कहीं उन्हें धन का रखवाला भी माना गया है. धन के देवता होने के साथ ही कुबेर को यक्षों के राजा के रुप में भी जाना जाता है और वो लंकापति रावण के भाई के तौर पर भी जाने जाते हैं.

वैसे कुबेर जी के बारे में यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि धन का देवता कुबेर एक बार भगवान शिव के मंदिर में चोरी करने के लिए पहुंच गए थे. आखिर कुबेर जी के सामने ऐसी कौन सी मजबूरी आ गई थी कि उन्हें भगवान शिव के मंदिर में चोरी करना पड़ी.

धन का देवता कुबेर पूर्व जन्म में एक चोर थे 

धन के देवता कुबेर को लेकर वैसे तो कई कथाएं प्रचलित हैं लेकिन मंदिर में चोरी करने के पीछे की इस दिलचस्प कथा के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धन के देवता की उपाधि प्राप्त करने से पहले कुबेर अपने पूर्वजन्म में एक चोर हुआ करते थे.

कुबेर अपने पूर्व जन्म में एक ऐसे चोर थे जो भगवान के मंदिर में भी चोरी करने से नहीं डरते थे. वो गरीब से लेकर अमीर लोगों के घर और मंदिर जैसे पवित्र स्थान पर भी चोरी करने से नहीं चूकते थे.

धन का देवता कुबेर शिव मंदिर में पहुंचे चोरी करने

बताया जाता है कि एक बार कुबेर चोरी करने के इरादे से भगवान शिव के मंदिर में पहुंचे. भगवान शिव का वह मंदिर हीरे-जवाहरात और सोने-चांदी जैसे बहुमूल्य रत्नों से जगमगा रहा था.

लेकिन जैसे ही कुबेर ने उन बहुमूल्य रत्नों को समेटने की कोशिश की, वैसे ही मंदिर में रखा हुआ दीया बुझ गया. दीये के बुझने की वजह से शिव मंदिर में काफी अंधेरा हो गया और अंधेरे में उन्हें कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था.

कुबेर ने उस दिए को जलाने की काफी कोशिश की, लेकिन वो अपने प्रयास में असफल रहे. फिर उन्होंने अपने शरीर के कपड़े उतार कर उसमें आग लगा दी. जिससे शिव मंदिर में छाया घना अंधेरा रौशनी से प्रकाशमय हो गया.

भगवान शिव ने कुबेर को दिया वरदान

मंदिर में चोरी करने के लिए आए कुबेर को अपने तन के कपड़ों को जलाकर मंदिर में रौशनी करते देख भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए. भगवान शिव ने प्रसन्न होकर कुबेर को अगले जन्म में धन के देवता के रुप में जन्म लेने का वरदान दिया.

आपको बता दें कि भगवान शिव के उस वरदान के चलते अगले जन्म में कुबेर एक चोर से धन के देवता बन गए और वो भगवान शिव के प्रिय भक्तों में से एक हैं.

धन का देवता कुबेर – बहरहाल मंदिर में चोरी करने आए कुबेर से प्रसन्न होकर भगवान शिव का उन्हें वरदान देना इस बात का प्रमाण है कि भगवान शिव कितनी जल्दी और सहजता से अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं और बिन मांगे उनकी सभी मुरादों को पूरी करते हैं.